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कॉल ड्रॉप जैसी समस्याएं रोकने 01 अक्टूबर से लागू होगा TRAI का नया कानून

- कॉल ड्रॉप की समस्या में बड़ा बदलाव
- लगेगा 5 लाख रुपए तक का जुर्माना
- हर दिन की सर्विस का होगा मिलान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कई बार खराब नेटवर्क की बजह से मोबाइल पर बात करते- करते अचानक से कॉल कट होना या कवरेज एरिया में ही नेटवर्क की समस्या होना सामने आती है। कॉल ड्रॉप की इन समस्याओं को देखते हुए टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) 01 अक्टूबर से नया कानून लागू करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक
पिछले दिनों कॉल ड्रॉप की समस्या को लेकर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट से आवास तक पहुंचने के दौरान कॉल ड्रॉप की समस्या का जिक्र किया। इसके बाद दूरसंचार विभाग ने अक्टूबर के पहले सप्ताह में टेलीकॉम कंपनियों की बैठक बुलाने का निर्णय लिया।
हालांकि इससे पहले तीन साल में कॉल ड्रॉप की समस्या को रोकने तीन बार कानून में बदलाव किए जा चुके हैं। कॉल ड्रॉप पर सख्त कानून बनाए गए वहीं विवादों के बाद जुर्माना लगाने के प्रावधान को भी लागू किया गया। बावजूद इसके अब तक टेलिकाॅम कंपिनयों पर केवल 87 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
कॉल ड्रॉप में ये समस्याएं भी होंगी शामिल
नए कानून को लेकर TRAI का कहना है कि नए पैरामीटर के प्रभाव में आने से कॉल ड्रॉप की समस्या में बड़ा बदलाव होगा। इसमें कॉल ड्रॉप के बदले मोबाइल ऑपरेटर कपंनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। अब बात करते-करते नेटवर्क गायब होने को ही कॉल ड्रॉप नहीं माना जाएगा, बल्कि बातचीत के दौरान आवाज सुनाई न देना, आवाज अटकना या नेटवर्क कमजोर होने जैसी समस्याओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
डेटा ड्राॅप को लेकर कंपनियों को कहा गया है कि मासिक प्लान में डाउनलोड के लिए न्यूनतम 90 फीसदी समय तक तय स्पीड के मुताबिक सर्विस मिलती रहनी चाहिए। वहीं मासिक प्लान में नेट ड्राॅप रेट को अधिकतम 3 फीसदी तक रखा गया है। इसके अलावा नेट के सामान्य ट्रांसमिशन को लेकर कहा कि एक माह में कम से कम 75 फीसदी तय स्पीड में सर्विस मिले।
5 लाख का जुर्माना
नया कानून लागू होने के बाद हर मोबाइल टावर से जुड़े नेटवर्क की हर दिन की सर्विस का मिलान होगा। ऐसे में खराब सर्विस (कॉल ड्रॉप) होने पर टेलीकॉम आॅपरेटरों पर 5 लाख का जुर्माना लगेगा। प्रभावित कानून के अनुसार एक माह में 2 फीसदी से कम काॅल ड्राॅप को तकनीकी बाधा के दायरे में माना जाएगा आैर इससे अधिक होने पर आॅपरेटर को जुर्माना भरना होगा
सरकार और कंपनी
जानकारों की मानें तो कॉल ड्रॉप जैसी समस्या सरकार और कंपनियों के बीच उलझ कर रह गई है। जहां तक कंपनियों पर जुर्माने की बात है तो काॅल ड्राॅप को लेकर टेलिकाॅम कंपनियों ने भी अपनी शर्त रखी है। कंपनियों का कहना है कि लगातार बढ़ते उपभोक्ताओं के चलते 2 सालों में डेढ़ लाख से अधिक मोबाइल टावर लगाना जरुरी होगा। इसके लिए सरकारी बिल्डिंग, सरकारी जमीनों आैर डिफेंस लैंड पर भी टावर लगाने की मंजूरी मिलनी चाहिए। जिससे इन समस्याओं को खत्म किया जा सके।
Created On :   30 Sept 2018 3:30 PM IST