Indira IVF: छत्तीसगढ़ के निःसंतान दम्पती को शादी के 12 साल बाद इन्दिरा आईवीएफ से मिला संतान सुख

बिलासपुर। अगर मन की उम्मीदों को तकनीकों का साथ मिल जाए तो सफलता दूर नहीं होती है ऐसी ही एक सकारात्मक खबर सामने आयी है। छत्तीसगढ़ के एक दम्पती ने 12 वर्षों की लंबी, मुश्किल मेडिकल समस्या और जटिल निःसंतानता यात्रा के बाद आखिरकार माता-पिता बनने का सुख प्राप्त किया है। चार बार आईवीएफ असफल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और Indira IVF Center in Bilaspur में उपचार करवाया जिससे उन्हें सफलता मिली और आईवीएफ के माध्यम से गर्भधारण हो गया ।
इस दम्पती की कहानी सिर्फ एक मेडिकल समस्या तथा संघर्ष की नहीं बल्कि उम्मीद, धैर्य और विश्वास की मिसाल है। महिला ने पहले दो आईवीएफ साइकिल अपने स्वयं के अंडाणुओं से करवाए, लेकिन अंडाणु प्राप्ति में कठिनाई के कारण दोनों प्रयास विफल रहे। इसके बाद दो डोनर साइकिल भी असफल रही। उन्होंने ईरा टेस्ट और हिस्टेरोस्कोपी जैसी एडवांस प्रक्रियाएं भी करवाईं, लेकिन कोई सफल परिणाम नहीं मिला। जब लैप्रोस्कोपी की गई, तो पता चला कि मरीज को सर्वाइकल स्टेनोसिस है, यह एक ऐसी स्थिति है जो गर्भधारण को और भी जटिल बना देती है।
साथ ही उन्हें टाइप 2 डायबिटीज़ भी थी, जिससे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट में स्पेशल केयर की आवश्यकता थी।
इन्दिरा आईवीएफ बिलासपुर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. नुपुर मिश्रा ने बताया कि जब कोई मरीज कई असफल प्रयासों के बाद हमारे पास आता है, तो सबसे पहले हमें उनका विश्वास फिर से जीतना होता है। इस केस में हमने उनकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री को समझा और एक ऐसा वातावरण तैयार किया जिसमें गर्भधारण संभव हो सके। क्लोज मोनिटरिंग और व्यक्तिगत केयर के माध्यम से हमें दम्पती के लम्बे इंजतार को खुशियों में बदलने में सफलता मिली।
इलाज की योजना बेहद सावधानीपूर्वक तैयार की गयी जो सफलता में सहायक रहीः
• सबसे पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और उनके पुराने इलाज की डिटेल में समीक्षा की गई।
• गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक प्रोसिजर किए गये।
• मरीज की स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए डोनर एग के साथ आईवीएफ साइकिल की योजना बनायी गई।
• समय पर विशेष केयर और निरंतर सपोर्ट के साथ एम्ब्रियो ट्रांसफर किया गया।
इन्दिरा आईवीएफ में पहली ही IVF treatment में महिला को सफल गर्भधारण हुआ और मरीज ने एक स्वस्थ संतान को जन्म दिया। यह नन्हीं खुशी उनकी निःसंतानता पर जीत ही नहीं बल्कि वर्षों के दुःख और संघर्ष का सुखद अंत था।
यह केस दर्शाता है कि जब एविडेंस बेस्ड एप्रोच और लगातार मेडिकल सपोर्ट एक साथ मिलते हैं, तो जटिल स्थितियों में भी आईवीएफ से सफलता मिल सकती है।
Created On :   26 Aug 2025 12:43 PM IST