Mission Samudrayan: चांद और सूरज के बाद अब समुद्र की बारी, अंतरिक्ष के बाद महासागर की गहराईयों में छिपे रहस्यों से पर्दा उठाएगा भारत, देखिए समुद्रयान की पहली झलक

चांद और सूरज के बाद अब समुद्र की बारी, अंतरिक्ष के बाद महासागर की गहराईयों में छिपे रहस्यों से पर्दा उठाएगा भारत, देखिए समुद्रयान की पहली झलक
  • समुद्र की गहराइयों में खोज अभियान चलाएगा भारत
  • 6 हजार मीटर गहराई तक जाएगा समुद्रयान
  • निकल और कोबाल्ट जैसे कई दुर्लभ खनिज मिलने की उम्मीद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरिक्ष के बाद अब भारत समुद्र की गहराइयों में खोज अभियान चलाएगा। केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। दरअसल उन्होंने 11 सितंबर को चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी का दौरा किया था। इस दौरे के बारे में उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर इसकी जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने लिखा, भारत का अगला मिशन समुद्रयान है, जिसे एनआईओटी द्वारा निर्मित किया गया है। इस पोस्ट में रिजिजू ने समुद्रयान (मत्स्य 6000) की तस्वीर भी साझा की। बता दें कि 'मत्स्य 6000' एक पनडुब्बी है जिसमें 3 लोग बैठकर समुद्र में गहराई तक जाएंगे। जिससे वहां के स्त्रोतों और जैव विविधता के बारे में स्टडी की जाएगी।

रिजिजू ने लिखा, "समुद्रयान मिशन के हिस्से के रूप में मत्स्य 6000 गहरे महासागरों में कई महत्वपूर्ण खोज करने की तैयारी में है। इसे चेन्नई में भारत सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) ने विकसित किया है। चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब इसके जरिए महासागरों के इकोसिस्टम को परखने के लिए तीन लोगों का एक दल समुद्र की गहराइयों में छह किमी नीचे उतरेगा।"

इकोसिस्टम पर नही होगा कोई नुकसान

किरन रिजिजू ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट के कारण समुद्री इकोसिस्टम पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। यह एक डीप ओशन मिशन है, जिसे ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने के लिए किया जा रहा है। इस मिशन के जरिए समुद्र के बारे में जो जानकारी मिलेगी, उससे रोजगार के अवसर बढ़ेगें। क्योंकि इस प्रोसेस में समुद्री संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।

बता दें कि इस स्वदेशी प्रोजेक्ट को टाइटेनियम एलॉय से निर्मित किया जा रहा है। हालांकि इसे साल 2026 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। फिलहाल इसके सभी हिस्से बनाए जा रहे हैं।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस मिशन के जरिए समुद्र की गहराई में मौजूदगैस हाइड्रेट्स, पॉलिमैटेलिक मैन्गनीज नॉड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्र्स्ट जैसे संसाधनों की खोज की जाएगी। ये चीजें समुद्र में 1000 से 550 मीटर की गहराई में पाई जाती हैं। इस मानव युक्त अभियान के जरिए सीधे तौर पर इन बहुमूल्य खनिजों की टेस्टिंग और कलेक्शन किया जाएगा। इस यान में एक खनन मशीन और एक अनमेन्ड व्हीकल है जो ऑटोमेटिक है। बताया जा रहा है कि इस यान को बनाने में करीब 4100 करोड़ रूपये की लागत आएगी।

Created On :   12 Sep 2023 12:38 PM GMT

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