विश्व शरणार्थी दिवस: सीएए लागू होने के बाद भारत में आसानी से शरणार्थियों को मिल रही है नागरिकता

- सीएए के बाद नागरिकता में आई तेजी
- 11 मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने सीएए लागू किया
- भारत में सीएए के बाग नागरिकता के लंबित मामले तेजी से निपटने लगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व शरणार्थी दिवस हर साल 20 जून को मनाया जाता है। शरणार्थी शब्द का मतलब होता है कि कोई भी व्यक्ति मजबूरी में या उत्पीड़न के कारण अपने मूल देश को छोड़कर किसी अन्य दूसरे देश में रहने को चले जाते हैं। उसे शरणार्थी कहा जाता हैं। ऐसे लोगों के पास अन्य देशों की जिसमें वह पलायन करके आया है , कि नागरिकता नहीं होती।
विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, विश्व में 123 मिलियन से अधिक लोग शरणार्थियों का जीवन जी रहे हैं। डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य को मौलिक मानव अधिकार मानता है, जो सम्मान, सुरक्षा और समावेश के लिए जरूरी है। इसलिए वो विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा है। इस साल विश्व शरणार्थी दिवस की थीम "शरणार्थियों के साथ एकजुटता" रखी गई है, जिसमें एकजुटता का मतलब है शरणार्थियों को सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि कामों से भी सम्मान देना।
20 जून को दुनिया भर के लोग विश्व शरणार्थी दिवस मनाते हैं। दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया। इसके पहले इसे मूल रूप से अफ्रीका शरणार्थी दिवस के रूप में जाना जाता था। इस दिन पर मानवता को अधिक महत्व देते हैं । शरणार्थी दिवस पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन गतिविधियों का नेतृत्व शरणार्थी स्वयं करते हैं या उनमें सरकारी अधिकारी, मेजबान समुदाय, कंपनियां, मशहूर हस्तियां और स्कूली बच्चे शामिल होते हैं।
विश्व शरणार्थी दिवस पहली बार 20 जून 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 कन्वेंशन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व स्तर पर मनाया गया। इसका उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों, जरूरतों और सपनों पर जोर देना है। इसका मकसद राजनीतिक इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाना भी है, ताकि शरणार्थी न सिर्फ जीवित रह सकें बल्कि फल-फूल सकें।
आपको बता दें भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय कई लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत में बस गए थे। इन लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए केंद्र सरकार ने समय -समय कई प्रयास किए। 11 मार्च 2024 को केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) कानून लागू किया। इस कानून के अतंर्गत 15 मई 2024 को पहली बार 14 लोगों को भारतीय नागरिकता प्रमाण पत्र सौंपे थे। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम शामिल है।
14 अगस्त 1947 को भारत-पाक विभाजन के वक्त पाकिस्तान से करीब 400 सिंधी शरणार्थी मध्यप्रदेश के भोपाल में आए। विभाजन के करीब सात साल बाद कुछ लोगों को नागरिकता मिल गई थी। लेकिन कुछ लोगों के दस्तावेज पूरे नहीं होने के कारण उनको नागरिकता नहीं मिल पाई थी। ये मामला केंद्र सरकार के पास भी कई बार पहुंचा। फिर 2017 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शिविर लगाकर करीब 150 लोगों को नागरिकता दी थी। बता दें कि, आज शहर में सिंधी समाज की आबादी डेढ़ लाख से अधिक हो चुकी है और इनके नाम से एक पूरा उपनगर है।
साल 2016 में भारतीय नागरिकता के लंबित माले निपटाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर देश के छह राज्यों के कुछ शहरों के कलेक्टर को अपने अधिकार का उपयोग कर अपने स्तर पर ही नागरिकता प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे। भारत सरकार ने भोपाल और इंदौर कलेक्टर को इसके लिए जिम्मेदारी दी थी। सीएए के बाद नागरिकता के लंबित मामले तेजी से निपटने लगे। नियम सरल कर कलेक्टरों के अधिकार बढ़ा दिए।
Created On :   20 Jun 2025 6:40 PM IST