Iran–Israel conflict: भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ा ईरान-इजरायल जंग का असर, कीमतों में आ सकती है भारी गिरावट

भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ा ईरान-इजरायल जंग का असर, कीमतों में आ सकती है भारी गिरावट
  • ईरान और इजरायल के बीच बीते 10 दिन से जंग जारी
  • इस संघर्ष का असर अब भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ने लगा
  • निर्यातकों ने दी भुगतान संकट पैदा होने की चेतावनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच बीते 10 दिन से जंग जारी है। दोनों देशों के बीच चल रहे इस संघर्ष का असर अब भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ने लगा है। निर्यातकों ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो भुगतान संकट उत्पन्न हो सकता है और चावलों की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।

अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा, "ईरान को भेजा जाने वाला एक लाख टन से अधिक बासमती चावल अभी भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है। ईरान हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण बाजार है। भारत के कुल चावल निर्यात का लगभग 18 से 20 प्रतिशत ईरान जाता है। हर साल हम उन्हें लगभग 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात करते हैं।"

गंभीर वित्तीय तनाव पैदा होगा

गोयल ने बताया कि व्यापार में अभी तक पूरी तरह से रुकावट नहीं आई है। लेकिन निर्यात प्रक्रिया में देरी की वजह से भुगतान को लेकर अनिश्चितता के कारण गंभीर वित्तीय तनाव पैदा हो सकता है। अगर यह संघर्ष जारी रहा तो स्थानीय बाजार में नकदी की कमी होने लगेगी। कीमतों में पहले ही चार से पांच रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आ चुकी है और अगर स्थिति और खराब हुई, तो यह गिरावट और भी बढ़ सकती है।

उन्होंने आगे कहा, "निर्यातकों के सामने अब एक बड़ी चुनौती युद्ध के दौरान बीमा कवरेज की कमी है। कोई भी बीमा कंपनी संघर्ष क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले जहाजों के लिए युद्ध जोखिम को कवर नहीं करती है। इसका मतलब है कि अगर परिवहन के दौरान कुछ होता है, तो निर्यातकों को पूरा नुकसान उठाना पड़ता है। अमेरिका के संघर्ष में शामिल होने के बाद स्थिति और खराब हो गई। कल (शनिवार) रात तक हमें उम्मीद थी कि चीजें शांत हो जाएंगी, लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है। अमेरिका के प्रवेश ने स्थिति को और भी अनिश्चित बना दिया है।"

24 जून को उद्योग मंत्री के साथ बैठक

गोयल ने कहा, "हरियाणा का करनाल, बासमती चावल निर्यात का एक प्रमुख केंद्र है। भारत के कुल निर्यात का लगभग 25 से 30 प्रतिशत हिस्सा इसी क्षेत्र से होता है। इस क्षेत्र के निर्यातक पिछले 15 से 20 वर्षों से ईरान के साथ बिना किसी व्यवधान के व्यापार कर रहे हैं। संकट पर चर्चा के लिए 24 जून को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक निर्धारित है।"

Created On :   23 Jun 2025 12:00 AM IST

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