जहरीली कप सिरप: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप लिखने वाला डॉक्टर प्रवीण सोनी गिरफ्तार, कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप लिखने वाला डॉक्टर प्रवीण सोनी गिरफ्तार, कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ भी एफआईआर  दर्ज
छिंदवाड़ा जिले में 7 सितंबर से संदिग्ध किडनी संक्रमण के कारण 10 बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध ,मुख्यमंत्री मोहन यादव ने छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण बच्चों की मौत बेहद दुखद है, इस सिरप की बिक्री पूरे मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कर दी गई है, इस सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 10 बच्चों की मौत मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कफ सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। बीते दिन परासिया थाना में डॉ प्रवीण सोनी और कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी sresun फार्मासूटिकल के संचालकों के खिलाफ पुलिस ने ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(A), बीएनएस की धारा 105 और 276 के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

मिली जानकारी के अनुसार शनिवार देर रात जांच रिपोर्ट आई। रिपोर्ट में पाया गया कि कोल्ड्रिफ कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल की मात्रा 48.6% थी, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंच सकती है। छिंदवाड़ा में मरने वाले ज्यादातर बच्चों को कफ सिरप लिखने वाले डॉ प्रवीण सोनी के खिलाफ परासिया सीएचसी से बीएमओ अंकित सहलाम ने शिकायत की थी।

आपको बता दें मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को छिंदवाड़ा जिले में 7 सितंबर से किडनी फैल होने से 10 बच्चों की मौत मामले में कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री पर बैन लगा दिया। कोल्ड्रिफ सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम की एक फैक्ट्री में बनाया गया था। मध्यप्रदेश सरकार ने घटना के बाद तमिलनाडु सरकार से जांच कराने का अनुरोध किया है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा,ज़हरीला कफ सिरप पीने से अब तक छिंदवाड़ा में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। दुख की इस घड़ी में मेरी भावनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं। लेकिन यह याद रखना होगा कि यह महज़ दुर्घटना नहीं बल्कि मानव निर्मित त्रासदी है। मैं मध्य प्रदेश सरकार से माँग करता हूँ कि एक-एक मृत बच्चे के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवज़ा दिया जाए। जो बच्चे अभी भी अस्वस्थ हैं, उनके बारे में जानकारी मिल रही है कि उपचार का ख़र्च वे अपने पास से उठा रहे हैं और सरकार की ओर से कोई उचित सहायता नहीं मिली है।

मध्य प्रदेश सरकार से आग्रह है कि सभी बीमार बच्चों के उपचार का पूरा ख़र्च सरकार उठाए। सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि प्रदेश में किस तरह की दवाओं की बिक्री हो रही है। नक़ली और ज़हरीली दवाओं के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की ज़रूरत है ताकि प्रदेश में इस तरह की त्रासदी दोबारा देखने को ना मिले।

Created On :   5 Oct 2025 9:51 AM IST

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