कश्मीर में विस्तार करने की तैयारी कर रहा आतंकी संगठन अलकायदा , कुछ दिन पहले ही किया था कश्मीर जेहाद का आह्वान

Al Qaeda, a terrorist organization preparing to expand in Kashmir, had called for Kashmir Jihad only a few days ago
कश्मीर में विस्तार करने की तैयारी कर रहा आतंकी संगठन अलकायदा , कुछ दिन पहले ही किया था कश्मीर जेहाद का आह्वान
अलकायदा की हो सकती है कश्मीर में एन्ट्री! कश्मीर में विस्तार करने की तैयारी कर रहा आतंकी संगठन अलकायदा , कुछ दिन पहले ही किया था कश्मीर जेहाद का आह्वान
हाईलाइट
  • आतंकवादियों का सफाया करके फिर से घाटी में अमन चेन स्थापित करने की कोशिश की है। 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ओसामा बिन लादेन का आतंकी संगठन अलकायदा ने अब फिर से भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी ने कुछ ही दिन पहले कश्मीर में जिहाद काआह्वान किया था। उसके ऐलान के बाद से ही संभावना जताई जा रही है कि अलकायदा अफगानिस्तान की जगह कश्मीर में अपने पैर पसारना चाहता है। जिससे भारत  की मुश्किलें और बढ सकती है। क्योंकि वर्षों से आतंकवाद का दंश झेल रहे कश्मीर में सेना ने कुछ ही सालों में लगभग आतंकवादियों का सफाया करके फिर से घाटी में अमन चेन स्थापित करने की कोशिश की है। 

बता दें आलकायदा ऐसा आतंकी संगठन है जिसमें एक नहीं बल्कि कई देशों के लडाके शामिल है। जिसमें प्रमुख रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत और म्यानमार के नागरिक शामिल हैं। एक रिपोर्ट की माने तो आईएसआईएल-के और अलकायदा का भले ही कोई इरादा हो और तालिबान उनको रोकने के लिए कार्रवाई करता है या नहीं, लेकिन दोनों संगठन 2023 से पूर्व अंतरराष्ट्रीय हमले करने में पूर्णत सक्षम नहीं हैं। हालांकि, अफगानिस्तान की भूमि पर आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी पड़ोसी देशों और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय जरूर है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के रूप सुरक्षा परिषद में सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर उसे पेश की है साथ ही परिषद का दस्तावेज भी जारी किया।रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान और अलकायदा बीच अभी भी करीबी रिश्ते बरकरार हैं। इन संगठनों पर अलकायदा से संबद्ध एक्यूआईएस जैसे संगठनों की मौजूदगी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। हालांकि एक्यूआईएस को वित्तीय मामलों  के कारण कम आक्रामक रुख अपनाने के लिए भी मजबूर होना पड़ा है।


 

Created On :   30 May 2022 5:51 PM GMT

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