राजधानी दिल्ली में हर रोज दो से ज्यादा मासूम होते हैं रेप के शिकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखबार हो या टीवी, बच्चों से रोज हो रहे दुराचार की खबरें आम हो गयी है। हाल ही में दिल्ली पुलिस की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमे कहा गया है कि इस साल के शुरुआती चार महीनों में राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन दो से ज्यादा मासूमों से रेप किया गया। यह वो आंकड़े हैं जो दर्ज होते है, बाकी कितने ही मामलों में पीड़ित को किसी तरह चुप करा दिया जाता है। ऐसे में विशेषज्ञ पीड़िताओं के लिए पुनर्वास नीति की जरूरत पर जोर दे रहे हैं।
भयानक हैं हालात
राजधानी दिल्ली में, बीते साल 2017 में बच्चों से बलात्कार एवं यौन हिंसा के लगभग 900 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन इस साल यह आंकड़ा अप्रैल के अंत तक 282 पहुंच गया है। पिछले साल इसी अवधि में 278 मामले रिपोर्ट हुए थे। मनोविशेषज्ञ पीड़ित बच्चों की मानसिक स्थिति को सामान्य बनाने और सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, उनके पुनर्वास के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वकील और बाल अधिकार कार्यकर्ता अनंत कुमार अस्थाना ने कहा कि इन पीड़िताओं को और व्यापक तरीके से सहायता देनी चाहिए।
मामलों में संवेदनशीलता की कमी
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के अनुसार ऐसे मामलों में संवेदनशीलता की कमी होती है, पुलिस और पीड़ित के माता पिता दोनों ही मामले को रफा दफा करने में लग जाते है, ऐसे में जिम्मेदारों के इस व्यवहार से बच्चों की स्थिति सुधरने के बजाए और बदतर हो जाती है। स्वाति ने कहा कि इसके पीछे एक और बड़ा कारण महिला जांच अधिकारियों की कमी होना है।
कई बार पहुंचने में हो जाती है देरी
वहीं पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस तरीके के अपराधों की जांच के लिए कानूनन महिला पुलिस अधिकारी नियुक्त की जाती है। जब भी इस तरह के मामले हमारी जानकारी में आते हैं, तो महिला पुलिस अफसर को तुरंत खबर की जाती है, तुरंत और अनिश्चित बुलावे के कारण कई बार पहुंचने में देरी हो जाती है, जिससे पीड़ित परिवार और समाज के सामने पुलिस के प्रति गलत धारणाएं बनती हैं।
Created On :   20 May 2018 10:18 PM IST