राजस्थान में अब स्कूल सिलेबस पर सियासी घमासान, कांग्रेस सरकार करेगी बड़े बदलाव
- अकबर और महाराणा प्रताप में से कौन महान था? क्या अब राजस्थान की किताबों में अकबर महान की पढ़ाई कराई जाएगी?
- ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि राजस्थान के नए शिक्षा मंत्री ने इसे लेकर बयान दिया है।
- शिक्षा मंत्री के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता बैनर पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अकबर और महाराणा प्रताप में से कौन महान था? ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि राजस्थान के नए शिक्षा मंत्री ने इसे लेकर बयान दिया है। इतना ही नहीं इस मामले में सरकारी रिपोर्ट भी तलब की गई है। दरअसल, साल 2017 में राजस्थान की बीजेपी सरकार ने पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए अकबर के आगे लगे महान शब्द को हटा दिया था और महाराणा प्रताप के नाम के आगे इसे लगा दिया था। इतना ही नहीं पाठ्मक्रम में ये भी लिखा गया था कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर ने नहीं बल्कि महाराणा प्रताप ने जीत हासिल की थी। अब जब सरकार बदल गई है तो कांग्रेस सरकार ने सिलेबस समीक्षा के आदेश दिए हैं।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने इस सम्बंध में बयान देते हुए कहा कि सिलेबस में बीजेपी सरकार ने जो भी बदलाव किए गए हैं, उनकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा, "हमने इस मामले की रिपोर्ट मांगी है और उसके बाद मीडिया के साथ हम पूरी तरह से चर्चा करेंगे। तथ्यों की जांच की जाएगी और जनता जो चाहती है वहीं होगा।" शिक्षा मंत्री के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता बैनर पोस्टर और मंत्री जी का पुतला लेकर सड़क पर आ धमके। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार एक खास एजेंडे के तहत बीजेपी सरकार के फैसलों को बदल रही है। बीजेपी ने कहा कि अब इस मुद्दे पर सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जवाब दें कि दोनों में कौन महान थे?
बीजेपी की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने कहा कि अकबर के कारनामे ऐसे थे कि कांग्रेस दोनों को महान बनाने का दुस्साहस नहीं कर सकती है, इसलिए किसी एक को महान बनाना होगा। देवनानी ने आरोप लगाया कि मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस अपने वीरों का अपमान कर रही है। वासुदेव देवनानी ने कहा कि मंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं। लिहाजा अब मुख्यमंत्री गहलोत को जवाब देना चाहिए कि महराणा प्रताप महान थे या अकबर महान थे?
बता दें कि कांग्रेस सरकार स्कूल सिलेबस में और भी कई बदलाव कर सकती है। बताया जा रहा है कि गांधी-नेहरू को कोर्स में शामिल करने का फैसला हुआ है। सूर्य नमस्कार की अनिवार्यता पर भी विचार संभव है।
Created On :   3 Jan 2019 11:24 PM IST