UPA सरकार में हर महीने टैप किए जाते थे 9000 फोन कॉल्स : RTI में खुलासा
- UPA शासनकाल के दौरान हर महीने करीब 9000 लोगों के फोन को एक्सेस किया गया।
- यह RTI प्रसोनजीत मंडल द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को दायर की गई थी।
- राइट टू इन्फॉर्मेन के तहत एक चौंकाने वाली जानकारी निकलकर सामने आई है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय इन दिनों 10 एजेंसियों को डाटा एक्सेस करने की इजाजत देने को लेकर विरोध झेल रहा है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल मोदी सरकार के इस कदम को देश की जनता की प्राइवेसी पर हमला बता रहे हैं। इसी बीच शनिवार को राइट टू इन्फॉर्मेशन के तहत एक चौंकाने वाली जानकारी निकलकर सामने आई है। नवंबर 2013 की इस RTI के अनुसार UPA शासनकाल के दौरान हर महीने औसतन करीब 9000 लोगों के फोन कॉल्स और 500 ई-मेल को एक्सेस किया गया।
RTI में दी गई जानकारी के अनुसार, उस वक्त यह डाटा एक्सेस टेलीग्राफ एक्ट 1885 और टेलीग्राफ (अमेंडमेंट) रूल 2007 के तहत किया गया था। मौजूदा केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को दिए गए अपने प्रस्ताव में इसके बारे में जिक्र किया है। इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा था कि "20 दिसंबर 2019 को NDA ने डाटा एक्सेस को लेकर जो इजाजत दिए हैं, वह UPA सरकार द्वारा 2008 में दिए गए ऑर्डर के ही समान है, जब ए राजा सूचना एवं प्रसारण मंत्री और शिवराज पाटिल गृहमंत्री थे। हालांकि उस वक्त लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी और हमने इस बारे में लोगों को भी बताया , ताकि वह इसे समझें। ऐसे ही डाटा एक्सेस के रूल 2009 से इस देश में लागू थे। विपक्ष तिल का पहाड़ बना रही है।"
बता दें कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को 10 केन्द्रीय एजेंसियों को देश में चल रहे किसी भी कंप्यूटर में घुसकर डाटा एक्सेस करने करने की इजाजत दे दी है। गृह मंत्रालय के इस आदेश का चौतरफा विरोध हो रहा है। विपक्षी दल मोदी सरकार के इस कदम को देश की जनता की प्राइवेसी पर हमला बता रहे हैं। कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा था और उन पर भारत को एक पुलिस स्टेट में तब्दील करने का आरोप लगाया। ऐसे में यह RTI राहुल गांधी और कांग्रेस पर बैकफायर करने का काम कर सकती है।
इसके अलावा नवंबर 2013 में फाइल किए गए एक और RTI में उन एजेंसियों के नाम भी बताए गए हैं, जिन्होंने इस दौरान UPA सरकार के ऑर्डर पर डाटा एक्सेस को अंजाम दिया। RTI के जवाब में केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कहा था कि इस दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), डायरक्टोरेट ऑफ इन्फोर्समेंट (DI), सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT), डायरक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), रीसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और कमीशनर ऑफ पुलिस, दिल्ली एंड डायरक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ-ईस्ट और असम जैसे क्षेत्रों का) को UPA सरकार ने जानकारी को निकलवाने की इजाजत दे रखी थी।
यह RTI प्रसोनजीत मंडल द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय में दायर की गई थी। 6 अगस्त, 2013 को RTI का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लिखा कि उस दौरान केंद्र सरकार ने हर महीने औसतन 7500 से 9000 फोन के डाटा को एक्सेस करने की इजाजत दी थी। इसके अलावा केंद्र की UPA सरकार ने हर महीने करीब 300 से 500 ई-मेल की भी जानकारी निकलवाई थी।
Created On :   22 Dec 2018 7:42 PM IST