सूखी हो या गीली, हर खांसी का इलाज छिपा है आपके किचन में! जानें आयुर्वेदिक नुस्खे

सूखी हो या गीली, हर खांसी का इलाज छिपा है आपके किचन में! जानें आयुर्वेदिक नुस्खे
खांसी एक आम समस्या लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह शरीर का एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र है। खांसी कोई साधारण लक्षण नहीं, बल्कि शरीर की चेतावनी है कि कुछ गलत हो रहा है। इससे राहत दिलाने के लिए कई घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे बेहद असरदार हैं।

नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। खांसी एक आम समस्या लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह शरीर का एक प्राकृतिक सुरक्षा तंत्र है। खांसी कोई साधारण लक्षण नहीं, बल्कि शरीर की चेतावनी है कि कुछ गलत हो रहा है। इससे राहत दिलाने के लिए कई घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे बेहद असरदार हैं।

जब हमारे गले या श्वसन नली में धूल, धुआं, एलर्जी या किसी संक्रमण का असर होता है तो नसें मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं। मस्तिष्क फेफड़ों को प्रतिक्रिया देने का आदेश देता है। इसी प्रतिक्रिया में शरीर खांसी के माध्यम से उन हानिकारक कणों, कीटाणुओं या म्यूकस को बाहर निकालता है।

खांसी के प्रमुख कारणों में सर्दी-जुकाम, धूल-धुआं, प्रदूषण, फेफड़ों का संक्रमण (जैसे ब्रोंकाइटिस या निमोनिया), धूम्रपान, अस्थमा और टीबी जैसी बीमारियां शामिल हैं। यदि खांसी तीन हफ्ते से अधिक समय तक बनी रहती है तो यह क्रोनिक खांसी कहलाती है, जो किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है।

खांसी के दो प्रमुख प्रकार हैं। पहली सूखी खांसी, जिसमें बलगम नहीं होता और दूसरी गीली खांसी, जिसमें बलगम के साथ खांसी आती है। आयुर्वेद में खांसी को कास रोग कहा गया है, जो वात, पित्त और कफ दोषों के असंतुलन से उत्पन्न होती है। वातज कास में सूखी खांसी, कफज कास में बलगम और पित्तज कास में गले में जलन और खट्टे डकार जैसे लक्षण होते हैं।

घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों में कई सरल नुस्खे बेहद असरदार हैं। जैसे अदरक और शहद का मिश्रण गले की खराश और सूखी खांसी में तुरंत राहत देता है। तुलसी का काढ़ा, जिसमें अदरक और काली मिर्च उबाली जाती है, इम्यूनिटी बढ़ाता है और संक्रमण दूर करता है। हल्दी वाला दूध संक्रमण को कम करता है और नींद में आराम देता है। मुलेठी चूसने या उसकी चाय पीने से गले का सूखापन दूर होता है।

वहीं लौंग और काली मिर्च का सेवन बलगम को ढीला कर निकालने में मदद करता है, जबकि नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे और अजवाइन या पुदीने की भाप लेने से गले की जलन और जमाव कम होता है।

इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव भी जरूरी हैं। ठंडी चीजों से परहेज करें, धूल-धुआं और प्रदूषण से बचें, धूम्रपान न करें, पर्याप्त पानी पिएं और रोज़ाना योग-प्राणायाम (जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) करें।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   5 Oct 2025 3:52 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story