प्रधानमंत्री मोदी ने सीजेआई गवई के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा की, कहा- ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने सीजेआई गवई के साथ हुए दुर्व्यवहार की निंदा की, कहा- ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की निंदनीय घटनाओं का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है और पूरे देश के लोग इस हमले से व्यथित हैं।

नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की निंदनीय घटनाओं का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है और पूरे देश के लोग इस हमले से व्यथित हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई से बात की। आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है। ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा प्रदर्शित धैर्य की मैं सराहना करता हूँ। यह न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"

बता दें कि सीजेआई बीआर गवई की कोर्ट में एक वकील राकेश किशोर ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हंगामा किया। आरोप है कि वकील ने सीजेआई से दुर्व्यवहार किया। उसने कोर्ट में नारे भी लगाए, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया।

दरअसल, जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के एक मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी तभी वकील भड़क उठा। बताया जा रहा है कि वकील ने 'सनातन का अपमान नहीं सहेंगे' का नारा भी लगाया। हालांकि, इस दौरान सीजेआई गवई शांत रहे और सुनवाई जारी रखी।

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने इस घटना की निंदा की है। एसोसिएशन ने कहा कि एक वकील के कृत्य पर हम सर्वसम्मति से पीड़ा व्यक्त करते हैं, जिसने अपने अनुचित और असंयमित व्यवहार से भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद व अधिकार का अनादर करने का प्रयास किया।

एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि इस तरह का व्यवहार न सिर्फ बार के सदस्य के लिए अस्वीकार्य है, बल्कि यह बेंच और बार के बीच आपसी सम्मान की नींव को कमजोर करता है। एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जनता के विश्वास पर हमला करार दिया।

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Created On :   6 Oct 2025 8:50 PM IST

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