काराकाट सीट क्या ज्योति सिंह के रूप में क्षेत्र को मिलेगी महिला विधायक या फिर एनडीए-महागठबंधन के उम्मीदवार मारेंगे बाजी
नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक दलों द्वारा धुआंधार चुनावी सभाओं का दौर चल रहा है। कुछ विधानसभा सीटों पर न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं। इन्हें हॉट सीट का दर्जा प्राप्त है। रोहतास जिले की काराकाट विधानसभा सीट इन्हीं में से एक है, जो सामान्य श्रेणी की है। यहां महागठबंधन और एनडीए के उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर तो है ही, लेकिन भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है।
चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या काराकाट में इस बार जनता ज्योति सिंह के रूप में महिला विधायक बनाने जा रही है या फिर चुनावी जंग की बाजी एनडीए या फिर महागठबंधन के उम्मीदवार मारेंगे।
यहां से एनडीए प्रत्याशी महाबली सिंह के चुनावी प्रचार के लिए भाजपा सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन, और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव को लगाया गया है। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री और सांसद भी यहां पर लगातार डेरा डाले हुए हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन की ओर से अरुण सिंह चुनावी मैदान में हैं। वर्तमान में वह यहां से विधायक भी हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को भारी मतों से चुनावी मात दी थी।
अगर इस विधानसभा सीट पर बीते पांच चुनाव की बात करें तो राजद का दबदबा रहा है। वहीं, जदयू ने सिर्फ एक बार इस सीट पर जीत हासिल की। 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद ने इस सीट पर जीत हासिल की। भाजपा इस चुनाव में भी दूसरे नंबर पर रही। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। वहीं, 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में भी राजद ने जीत हासिल की।
इस सीट पर 25 वर्षों के पांच चुनाव में राजद ने तीन बार जीत हासिल की। एक बार जदयू और एक बार सीपीआई(एमएल) (एल) ने चुनाव जीता है। इस विधानसभा में कुल जनसंख्या 567897 है, जिनमें पुरुष 293905 और महिलाएं 273992 हैं।
चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, कुल मतदाता 337162 हैं, जिनमें पुरुष 174581, महिलाएं 162557 और थर्ड जेंडर वोटर की संख्या 24 है।
काराकाट विधानसभा एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, लेकिन विकास की कमी और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां यहां की प्रमुख समस्याएं हैं। यहां की जनता ने अपनी समस्याओं के सुधार के लिए हर बार वोट तो किया, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी रहीं।
बिक्रमगंज नगर परिषद को सिकरिया गांव से जोड़ने वाला एक छोटा सा पुल नहीं बन पाया। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस बार वे ऐसे नेतृत्व को मौका देंगे जो उनकी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का सिर्फ वादा ही न करे, चुनाव जीतने के बाद उसे जमीन पर पूरा भी करे।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   1 Nov 2025 5:11 PM IST












