बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी ने ‘ए सिम्फनी ऑफ हार्मनी’ के साथ दिव्यांगजनों का किया सम्मान

बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी ने ‘ए सिम्फनी ऑफ हार्मनी’ के साथ दिव्यांगजनों का किया सम्मान
बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी में 15 नवंबर को ‘ए सिम्फनी ऑफ हार्मनी’ नामक विशेष संध्या का आयोजन किया गया, जो दिव्यांगजनों, समावेशन और साझा मानव मूल्यों को समर्पित थी। इस प्रेरणादायी कार्यक्रम में यूएई नेतृत्व, समुदाय प्रतिनिधियों, परिवारों और शुभचिंतकों सहित 500 से अधिक अतिथियों ने सहभागिता की।

अबू धाबी, 19 नवंबर (आईएएनएस)। बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी में 15 नवंबर को ‘ए सिम्फनी ऑफ हार्मनी’ नामक विशेष संध्या का आयोजन किया गया, जो दिव्यांगजनों, समावेशन और साझा मानव मूल्यों को समर्पित थी। इस प्रेरणादायी कार्यक्रम में यूएई नेतृत्व, समुदाय प्रतिनिधियों, परिवारों और शुभचिंतकों सहित 500 से अधिक अतिथियों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 15 वर्षीय अमीराती पियानो वादक और संगीतकार अहमद अल हाशिमी का मनमोहक प्रस्तुतीकरण था। वे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित युवा कलाकार हैं। उन्होंने आठ रचनाएं प्रस्तुत कीं, जिनमें उनकी मौलिक रचनाएं और बीथोवन जैसे क्लासिकल पीसेज शामिल थे।

मंदिर के लिए विशेष रूप से रचित उनकी प्रस्तुति ‘डार्क टू लाइट’ मानवता की यात्रा—चुनौती से शांति की ओर—का प्रतीक बनी। अहमद ने कहा, “मेरे संगीत का संदेश प्रेम, शांति और सद्भाव है। जब हम सच में एक-दूसरे को सुनते हैं, तो दुनिया और भी दयालु बन जाती है। टॉलरेंस डे से पहले, मैं यह संदेश साझा करके बहुत खुश हूं।”

बीच सत्र में, बीएपीएस हिंदू मंदिर अबू धाबी के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारिदास ने संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति और दिव्यांगजनों के साहस पर प्रकाश डाला। उन्होंने यूएई नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया, जो समावेशन, सशक्तिकरण और मानव गरिमा के प्रति निरंतर प्रतिबद्ध है।

मंदिर ने अहमद को एक विशेष स्मृति चिन्ह भेंट किया, जो आस्था, कला और मानव-आत्मा के समन्वय का प्रतीक था। अहमद की माता, ईमान अलअलीली, को भी उनके समर्पण के लिए सम्मानित किया गया। यूएई नेतृत्व और समुदाय के कई प्रमुख सदस्यों—ब्रिगेडियर हामेद, एचई मुबारक अल आमरी, एचई मोहम्मद अल बलूशी, जुबिन कारकारिया और डॉ. विबु बोस—को उनके सतत सहयोग के लिए सम्मान दिया गया।

कार्यक्रम के पश्चात दिव्यांगजन, यूएई नेतृत्व और अतिथियों के बीच हर्षपूर्ण और समानता-पूर्ण संवाद ने एक भावनात्मक वातावरण निर्मित किया। इस विशेष संध्या ने मंदिर की उस भूमिका को पुनः स्थापित किया, जहां हर व्यक्ति का सम्मान, प्रोत्साहन और उत्थान होता है।

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Created On :   19 Nov 2025 5:31 PM IST

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