राम मंदिर के शिखर पर लगे ध्‍वज का भाव वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना है मनोज तिवारी

राम मंदिर के शिखर पर लगे ध्‍वज का भाव वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना है मनोज तिवारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर ध्‍वजारोहण फहराया। राम जन्मभूमि मंदिर में झंडा फहराने के कार्यक्रम पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि यह मंदिर निर्माण पूरा होने का प्रतीक है। राम मंदिर के शिखर पर लगे ध्‍वज का भाव वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना है।

लखनऊ, 25 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर ध्‍वजारोहण फहराया। राम जन्मभूमि मंदिर में झंडा फहराने के कार्यक्रम पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि यह मंदिर निर्माण पूरा होने का प्रतीक है। राम मंदिर के शिखर पर लगे ध्‍वज का भाव वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना है।

राम जन्मभूमि मंदिर में झंडा फहराने के कार्यक्रम पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि आज भगवान राम की जन्मभूमि, राम मंदिर के शिखर पर लगा झंडा, मंदिर का निर्माण पूरा होने का प्रतीक है। मेरे हिसाब से, इस झंडे की खुशी तीनों लोकों में है। यह धरती पर है और इसके हर कोने में मौजूद है। आज दुनिया में सनातनियों के बीच कहीं भी उनकी खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में जब ध्‍वज धीरे-धीरे ऊपर की ओर जा रहा था, उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि भारत की संस्‍कृति आसमान की ऊंचाइयों को छू रही है। इसके बाद भगवान श्रीराम के मंदिर की पूर्णता हो गई। इस ध्‍वज का भाव अतिथ‍ि देवो भव, वसुधैव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिना है। इस तरह के संदेश देने वाली संस्‍कृति का कोई भी विरोधी नहीं हो सकता है। हालांकि, कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें इस ध्‍वज को देखकर जलन होती है, लेकिन मैं समझता हूं कि भारत की जनता ने जिस सपने को देखा था, आज वह साकार रूप ले लिया है।

विपक्षी पार्टियों के इस आरोप पर कि भाजपा राम मंदिर का इस्तेमाल पब्लिसिटी के लिए करती है, मनोज तिवारी ने कहा, "बिल्कुल, यही बात है, कुछ लोग कल्चर के प्रमोशन को सिर्फ एडवरटाइजिंग समझते हैं। भारत का कल्चर क्यों नहीं फैलना चाहिए? भारत के लोग पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं। यही हमारी संस्कृति का सार है, जिसे सदियों से बनाए रखा गया है। सिर्फ़ वही लोग जो बांटने और नफरत में विश्वास करते हैं, इस विरासत का विरोध कर सकते हैं। आतंकियों और नक्‍सलियों का सहयोग करने वाले लोग खुश नहीं होंगे। महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार की जनता ने ऐसे लोगों को नकार दिया है। अब जाति और धर्म की दीवारें हट चुकी हैं।

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Created On :   25 Nov 2025 8:58 PM IST

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