महादेवा महोत्सव में आस्था, संस्कृति और पर्यटन का होगा संगम, 17 से 23 नवंबर तक बाराबंकी में उमड़ेगी भीड़
लखनऊ, 18 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के सूरतगंज ब्लॉक में स्थित पौराणिक लोधेश्वर महादेव धाम में 17 से 23 नवंबर तक महादेवा महोत्सव 2025 का आयोजन किया जाएगा। यह सात दिवसीय महोत्सव आस्था, अध्यात्म और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा संगम है, जो वर्षों से उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा है। इस वर्ष भी आयोजन स्थल पर 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि महादेवा महोत्सव ने बाराबंकी को धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्रों में शामिल कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि महोत्सव से स्थानीय व्यापार, होटल-होमस्टे, परिवहन, भोजनालय, हस्तशिल्प और बाजारों को हर साल बड़ा आर्थिक लाभ मिलता है। बेहतर सड़क नेटवर्क, बढ़ती कनेक्टिविटी और सुरक्षित वातावरण ने इस आयोजन की प्रतिष्ठा को और मजबूत किया है।
मंत्री ने बताया कि बाराबंकी जिले में ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 32 होमस्टे संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें से 9 होमस्टे लोधेश्वर मंदिर के आसपास स्थित हैं। यह पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति, ग्रामीण जीवनशैली और पारंपरिक भोजन का अनुभव कराते हैं। 'लोधेश्वर फार्म स्टे' पर आगंतुक मधुमक्खी पालन, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग जैसी गतिविधियों को भी करीब से देख सकते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलता है।
महोत्सव के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित होगी, जिसमें भोजपुरी जगत की लोकप्रिय कलाकार अक्षरा सिंह, समर सिंह, शिल्पी राज, गजल गायक कुमार सत्यम, कथावाचक आचार्य शांतनु महाराज, तथा कवि डॉ. विष्णु सक्सेना अपनी प्रस्तुति देंगे। साथ ही स्थानीय कलाकार कत्थक नृत्य, आल्हा-उदल, लोकगीत, भजन, जवाबी कीर्तन, नाटक, जादू और पारंपरिक लोकनृत्य प्रस्तुत करेंगे।
बाराबंकी स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर को प्रदेश के प्राचीनतम और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग 52 विशेष एवं दुर्लभ शिवलिंगों में से एक है। कथा के अनुसार, महाभारत काल से पूर्व बाराबंकी के विद्वान ब्राह्मण लोधेराम अवस्थी को शिवदर्शन हुए थे, जिसके बाद खेत की खुदाई में शिवलिंग प्राप्त हुआ। इसकी गहराई का पता न लगने पर वहीं मंदिर स्थापित किया गया और यह स्थल 'लोधेश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुआ। मान्यता यह भी है कि महाभारत युद्ध के उपरांत पांडवों ने यहां महायज्ञ किया था।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   18 Nov 2025 7:26 PM IST











