आईएएनएस स्पेशल: 25 अगस्त भारत के इतिहास का काला दिन, जब धमाकों से दहल गए थे दो बड़े शहर

नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)। भारत के हालिया इतिहास में 25 अगस्त का दिन एक दर्दनाक याद बनकर रह गया है। 2003 में मुंबई और 2007 में हैदराबाद दो सीरियल ब्लास्ट से दहल गए थे। इन घटनाओं ने न सिर्फ कई मासूम जिंदगियां छीन लीं, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल भी खड़े किए। आज इन हमलों को क्रमशः 22 और 18 साल हो चुके हैं।
25 अगस्त 2003, यह वह तारीख है जब बम धमाके से पूरी मुंबई दहल गई। मुंबई में दोहरे कार बम विस्फोट हुए, जिसमें 54 लोग मारे गए और 244 लोग घायल हो गए थे। एक धमाका गेटवे ऑफ इंडिया और दूसरा जावेरी बाजार में हुआ था। अहम यह है कि दोनों हमलों में काम करने का तरीका एक जैसा था। टैक्सी में बम लगाए गए थे, जो एक निश्चित समय पर फटे।
यह भी पहला मामला था जब किसी परिवार में पति, पत्नी और बेटी- तीनों ही एक साजिश में शामिल थे। तहकीकात हुई तो पता चला कि इन तीनों का कनेक्शन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर से था। उस मामले में सरकारी वकील रहे उज्जवल निकम ने एक बयान में कहा था कि यह बात साबित हुई है कि दोषी लश्कर-ए तैयबा से जुड़े हुए थे। यह भी साबित हुआ कि इन लोगों ने दुबई में बैठकर धमाकों की साजिश रची थी।
मुंबई पुलिस की जांच में पता चला कि 25 अगस्त 2003 को मुंबई को दहलाने के लिए हनीफ ने अपनी पत्नी और दो नाबालिग बेटियों के संग टैक्सी किराए पर ली, जिससे वे गेटवे ऑफ इंडिया तक पहुंचे। साथ में एक बैग था। परिवार टैक्सी ड्राइवर से यह कह कर बैग छोड़ गया कि वे सभी खाना खाने के बाद लौटेंगे, लेकिन कुछ देर बाद धमाके हुए तो पूरी मुंबई दहल गई।
धमाकों के बाद की भयावह स्थिति थी। दोनों ऐसी जगह थीं, जहां हर समय अच्छी भीड़भाड़ रहती है। धमाकों के बाद मलबा चारों ओर बिखरा था। करीब 200 की दूरी पर ज्वेलरी शोरूम के शीशे तक चकनाचूर हो गए थे। धमाके में एक टैक्सी वाले की मौत हो गई थी, जबकि दूसरा बच गया था। लगभग 6 साल बाद कोर्ट ने हनीफ सईद, उसकी पत्नी फहमीदा सईद और अशरफ अंसारी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
हालांकि, 2007 तक भारत के यह घाव ठीक से भरे नहीं थे कि 25 अगस्त को ही निजामों के शहर हैदराबाद को धमाकों से दहला दिया। 25 अगस्त, 2007 को हैदराबाद के गोकुल चाट और लुंबिनी पार्क में लगभग एक साथ हुए विस्फोटों में 42 लोगों की जान चली गई थी और 50 से ज्यादा घायल हुए थे।
पहला बम हैदराबाद के लुंबिनी पार्क में खचाखच भरे लेजर शो ऑडिटोरियम में फटा, जिसके कुछ ही मिनट बाद शहर के दूसरे हिस्से में गोकुल चाट रेस्टोरेंट में विस्फोट हुआ। बम फटते ही चारों तरफ लाशें बिछ गई थीं। दिलसुखनगर में भी एक बम प्लांट था, जिसे वक्त रहते निष्क्रिय कर दिया गया।
मार्च 2009 में पहली गिरफ्तारी हुई, ठीक उसी साल जब अगस्त 2009 में मुंबई हमलों (2003) के दोषियों को सजा सुनाई गई थी।
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Created On :   24 Aug 2025 4:17 PM IST