26 साल से जेल में बंद दारा सिंह को रिहा किए जाने की मांग, हिन्दू सेना ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

26 साल से जेल में बंद दारा सिंह को रिहा किए जाने की मांग, हिन्दू सेना ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र
जेल में बंद दारा सिंह की रिहाई की मांग को लेकर हिन्दू सेना ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा है। दारा सिंह पिछले 26 साल से जेल में बंद है, जिन्हें संवैधानिक शक्ति के प्रयोग से जेल से रिहा करने का अनुरोध किया गया है।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। जेल में बंद दारा सिंह की रिहाई की मांग को लेकर हिन्दू सेना ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा है। दारा सिंह पिछले 26 साल से जेल में बंद है, जिन्हें संवैधानिक शक्ति के प्रयोग से जेल से रिहा करने का अनुरोध किया गया है।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा कि दारा सिंह ओडिशा की जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। वह पिछले 26 वर्षों से कारागार में बंद हैं और उन्होंने अपनी सजा की एक बहुत बड़ी व पर्याप्त अवधि पूरी कर ली है।

जेल रिकॉर्ड्स तथा आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, कारावास की 26 वर्षों की अवधि के दौरान दारा सिंह का आचरण उत्कृष्ट, अनुशासित और सुधारात्मक रहा है। उन्होंने जेल के नियमों का पूर्णतः पालन किया है और अपने कृत्यों के प्रति गहरा पश्चात्ताप दर्शाया है।

इसी प्रकार के मामले में, कैदी के उत्कृष्ट एवं सुधारात्मक आचरण को देखते हुए हेम्ब्रम को भी रिहाई प्रदान की जा चुकी है। यह मिसाल सुधारात्मक नीति के तहत रिहाई के लिए एक मजबूत आधार प्रस्तुत करती है, जिसका लाभ दारा सिंह को भी मिलना चाहिए, जिन्होंने 26 वर्ष जेल में बिताए हैं।

पत्र में लिखा गया कि दारा सिंह का 26 साल का जीवन जेल में बीता है और सजा के पीछे के सुधारात्मक उद्देश्य को पूर्णतः आत्मसात कर लिया है, इसलिए मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 द्वारा प्रदत्त अपनी विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग करते हुए, दारा सिंह की आजीवन कारावास की सजा का परिहार/लघुकरण करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहाई प्रदान करने का निर्देश जारी करने की कृपा करें।

दारा सिंह को ग्राहम स्टेन्स हत्याकांड में दोषी ठहराया गया था। साल 1999 में ओडिशा में ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों को जिंदा जलाया गया था। भीड़ ने हमला किया था और दारा सिंह को भीड़ का नेतृत्व करने के लिए दोषी पाया गया था। साल 2005 में ओडिशा उच्च न्यायालय और 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

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Created On :   4 Dec 2025 7:42 PM IST

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