ऑस्ट्रेलिया-कनाडा-भारत के बीच डील पक्की, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और सप्लाई चेन को मिलेगी मजबूती
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। जोहान्सबर्ग में जी20 समिट के दौरान ऑस्ट्रेलिया-कनाडा-इंडिया टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन पार्टनरशिप (एसीआईटीआई) पर हस्ताक्षर किया गया। तीनों देशों के बीच हुए इस एसीआईटीआई साझेदारी पर विशेषज्ञों की अपनी राय है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता जलवायु परिवर्तन, तकनीकी स्वायत्तता और सप्लाई चेन में लचीलापन को मजबूत करने जैसी मुश्किल चुनौतियों से निपटने के लिए एक रणनीतिक ब्लूप्रिंट है।
वन वर्ल्ड आउटलुक के एक लेख के अनुसार, आज दुनिया सप्लाई में रुकावट, पर्यावरण की जरूरतों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होने वाले बड़े बदलावों से जूझ रही है। ऐसे समय में एसीआईटीआई समझौता ग्रीन एनर्जी इनोवेशन, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और जरूरी रिसोर्स सिक्योरिटी के फ्रंटलाइन पर मिलकर काम करने के लिए एक मॉडल के तौर पर सामने आई है।
इस समझौते के तहत तीन देशों का यह समूह एक-दूसरे को ताकत देता है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा बैटरी, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और ग्रीन इकॉनमी को सहारा देने वाले डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरी बहुत सारे महत्वपूर्ण मिनरल्स के संरक्षक हैं।
भारत एक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस है, जिसका घरेलू मार्केट बहुत बड़ा है। एआई और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) में उसकी विशेषज्ञता भी बढ़ रही है। लेख के अनुसार, तीनों देश मिलकर क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी को तेज करने, सप्लाई चेन में विविधता लाने और दुनिया भर में भरोसेमंद स्टैंडर्ड बनाने के लिए एक सिनर्जिस्टिक इकोसिस्टम बना रहे हैं।
इस पार्टनरशिप का मुख्य हिस्सा सप्लाई चेन में बदलाव लाना है। कोविड-19 के बाद आई रुकावट और इंडो-पैसिफिक और उससे आगे बढ़ते वैश्विक राजनीतिक तनाव के बाद, यह साफ है कि मिनरल्स या तकनीक के इनपुट के लिए एक जगह मौजूद सोर्स पर निर्भर रहने से रिस्क पैदा होते हैं।
आर्टिकल में यह भी कहा गया कि एसीआईटीआई का फोकस लिथियम, कोबाल्ट, रेयर अर्थ और दूसरे जरूरी तत्वों के लिए मजबूत वैल्यू चेन बनाने पर है। इससे जिम्मेदार सोर्सिंग और सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों के साथ जुड़ी सर्कुलर इकॉनमी प्रैक्टिस को बढ़ावा मिलता है।
तीनों देशों के बीच हुई इस पार्टनरशिप का एक और अहम हिस्सा ग्रीन एनर्जी इनोवेशन है। तीनों देश रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी के रिसर्च, डेवलपमेंट और डिप्लॉयमेंट पर मिलकर काम करेंगे। इसमें हाइड्रोजन, एनर्जी स्टोरेज और एडवांस्ड क्लीन-टेक सिस्टम शामिल हैं।
जैसे-जैसे ऑस्ट्रेलिया और कनाडा बड़े नेट-जीरो टारगेट को आगे बढ़ा रहे हैं, भारत की बहुत ज्यादा एनर्जी डिमांड और मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी बड़े पैमाने पर असर डालने के मौके देती है। यह तीन-तरफा सहयोग एनर्जी ट्रांजिशन को तेज करने के लिए नया मानक बना सकता है।
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Created On :   24 Nov 2025 7:26 PM IST












