विज्ञान/प्रौद्योगिकी: भारत 'ग्लोबल क्लाइमेट अडॉप्शन एंड रेजिलिएंस' मार्केट में 24 बिलियन डॉलर के निवेश अवसर के साथ एक असाधारण बाजार बना

भारत ग्लोबल क्लाइमेट अडॉप्शन एंड रेजिलिएंस मार्केट में 24 बिलियन डॉलर के निवेश अवसर के साथ एक असाधारण बाजार बना
जलवायु अनुकूलन और मजबूत समाधानों की मांग में अनुमानित वैश्विक उछाल 2030 तक 0.5 से 1.3 ट्रिलियन डॉलर के बीच पहुंचने का अनुमान है। इसी बीच भारत 24 बिलियन डॉलर के निवेश अवसर प्रदान करने के साथ एक असाधारण बाजार के रूप में उभरा है। यह जानकारी बुधवार को आई एक नई रिपोर्ट में दी गई।

नई दिल्ली, 7 मई (आईएएनएस)। जलवायु अनुकूलन और मजबूत समाधानों की मांग में अनुमानित वैश्विक उछाल 2030 तक 0.5 से 1.3 ट्रिलियन डॉलर के बीच पहुंचने का अनुमान है। इसी बीच भारत 24 बिलियन डॉलर के निवेश अवसर प्रदान करने के साथ एक असाधारण बाजार के रूप में उभरा है। यह जानकारी बुधवार को आई एक नई रिपोर्ट में दी गई।

जलवायु जोखिम दुनिया भर में तीव्र होते जा रहे हैं, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) और टेमासेक की नई रिपोर्ट ने सभी क्षेत्रों में मजबूती के लिए बड़े पैमाने पर समाधानों की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।

हालांकि, इस बढ़ती मांग के बावजूद, अनुकूलन और मजबूत समाधानों पर वर्तमान वैश्विक खर्च सालाना 76 बिलियन डॉलर के आसपास सीमित रहा, जिसमें अधिकांश फंडिंग सार्वजनिक स्रोतों से आ रही है।

इससे एक महत्वपूर्ण अंतर पैदा होता है, जिसे निजी निवेश, विशेष रूप से निजी इक्विटी फर्मों से पाटे जाने की जरूरत है।

रिपोर्ट में निजी निवेश के लिए तेजी से बढ़ते कई सब-सेक्टर की रूपरेखा दी गई है, जिनमें बाढ़ सुरक्षा प्रणालियां, जंगल की आग से बचाव, क्लाइमेट इंटेलिजेंस टूल्स और जल दक्षता टेक्नोलॉजी शामिल हैं।

ये क्षेत्र न केवल जलवायु जोखिम के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मजबूत व्यावसायिक मामले भी प्रस्तुत करते हैं, जिनमें से कई में दोहरे अंकों की वृद्धि और 30-40 प्रतिशत तक के ईबीआईटीडीए मार्जिन की पेशकश की उम्मीद है।

इस निवेश क्षेत्र में भारत की भूमिका विशेष रूप से प्रमुख है।

कंचन समतानी, एपीएसी लीडर - कॉर्पोरेट फाइनेंस और स्ट्रैटेजी, भारत प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की उच्च जलवायु संवेदनशीलता देश को मजबूती-केंद्रित निवेशों के लिए एक प्राथमिकता वाला बाजार बनाती है।

समतानी ने कहा, "उभरते बाजार विशेष रूप से भारत, जलवायु संवेदनशीलता के मामले में सबसे आगे हैं, इसलिए निजी इक्विटी उद्योग के लिए जलवायु अनुकूलन और लचीलापन अवसर प्रदान करते हैं।"

उन्होंने कई क्षेत्रों में मजबूत मांग की ओर इशारा किया।

उन्होंने कहा, "भारत में अतिरिक्त उच्च-संभावित क्षेत्रों में एडवांस्ड वॉटर मीटरिंग सिस्टम, टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड इमरजेंसी मेडिकल सर्विस और बायो-स्टिम्युलेंट एग्रीकल्चर इनपुट शामिल हैं।"

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अनुकूलन और मजबूती से जुड़े अवसर स्टार्टअप तक ही सीमित नहीं हैं। यह पूरे निवेश चक्र तक फैला है। अर्ली-स्टेज वेंचर्स से लेकर मैच्योर कंपनियां, जो अपने बिजनेस मॉडल में अनुकूलन और मजबूती को इंटीग्रेट कर रही हैं।

-आईएएनएस

एसकेटी/

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Created On :   7 May 2025 3:25 PM IST

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