स्वास्थ्य/चिकित्सा: कोविड-19 का प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं पर करता है हमला अध्ययन

नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। कोविड-19 की नई लहर के बीच इजरायल के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि इस वायरस का एक प्रोटीन हमारी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करवाता है।
यह खोज पत्रिका सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई है और कोविड-19 की गंभीर समस्याओं को समझने में मदद कर सकती है।
सेल रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 की गंभीर समस्याएं कैसे होती हैं, इस पर नई जानकारी मिली है। यह अध्ययन वायरस से होने वाले प्रतिरक्षा-संबंधी नुकसान को रोकने के नए तरीके भी सुझाता है।
यरुशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस का न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (एनपी), जो आमतौर पर संक्रमित कोशिकाओं में वायरस की आनुवंशिक सामग्री को पैक करता है, पास की स्वस्थ इपिथिलियल सेल्स तक फैल सकता है।
जब न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (एनपी) स्वस्थ कोशिकाओं की सतह पर पहुंचता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली इसे गलती से खतरा समझ लेती है। इसके बाद प्रतिरक्षा प्रणाली एंटी-एनपी एंटीबॉडीज भेजती है, जो इन स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए चिह्नित कर देती हैं।
यह प्रक्रिया 'क्लासिकल कॉम्प्लीमेंट पाथवे' को शुरू करती है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का हिस्सा है। इससे सूजन और ऊतकों को नुकसान होता है, जो गंभीर कोविड लक्षणों और लंबे समय तक कोविड का कारण बन सकता है।
शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं, उन्नत इमेजिंग तकनीक और कोविड-19 मरीजों के नमूनों का इस्तेमाल करके पाया कि न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन (एनपी) कोशिका की सतह पर मौजूद एक खास अणु से जुड़ जाता है। इस जुड़ाव के कारण यह प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं पर जमा हो जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली और अधिक भ्रमित हो जाती है।
अध्ययन में यह भी पता चला कि एनोक्सापारिन नाम की दवा, जो खून को पतला करने के लिए इस्तेमाल होती है और हेपरिन का एक रूप है, एनपी को स्वस्थ कोशिकाओं से चिपकने से रोक सकती है। प्रयोगशाला परीक्षणों और मरीजों के नमूनों में एनोक्सापारिन ने उन जगहों को ब्लॉक कर प्रतिरक्षा हमलों को रोकने में मदद की, जहां एनपी चिपकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज कोविड समेत अन्य वायरल संक्रमण में प्रतिरक्षा प्रणाली से होने वाली मुश्किलों को कम करने में कारगर हो सकती है।
इस बीच, कोविड का एक नया वैरिएंट एनबी 1.8.1 दुनिया के कई हिस्सों में तेजी से फैल रहा है, जिससे नई चिंताएं बढ़ रही हैं। यह वैरिएंट ओमिक्रॉन फैमिली का हिस्सा है, जो जनवरी 2025 में पहली बार पाया गया था। यह भारत के साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, चीन, मालदीव और मिस्र जैसे देशों में फैल चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'निगरानी में रखा गया वैरिएंट' घोषित किया है, यानी यह इतनी तेजी से फैल रहा है कि इस पर ध्यान देना जरूरी है, लेकिन अभी इसे बड़ा खतरा नहीं माना गया है।
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Created On :   11 Jun 2025 12:06 PM IST