हमारी बड़ी दीदी: जगद्गुरु कृपालु परिषत् की ओर से भक्तिपूर्ण श्रद्धांजलि - शाश्वत गरिमामय

जगद्गुरु कृपालु परिषत् की ओर से भक्तिपूर्ण श्रद्धांजलि - शाश्वत गरिमामय,
हमारी बड़ी दीदी
श्रद्धा और कृतज्ञता से ओत-प्रोत हृदयों के साथ, हम परम पूजनीया डॉ. सुश्री विशाखा त्रिपाठी जी, जिन्हें स्नेहपूर्वक बड़ी दीदी के नाम से जाना जाता है, के दिव्य जीवन को शत कोटि नमन करते हैं। उनका इस नश्वर संसार से जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज (श्री महाराज जी) और पूज्या अम्मा के साथ श्री गोलोक धाम में दिव्य सेवा हेतु प्रस्थान, हमारे जीवन में एक गहरी रिक्तता छोड़ गया है।
फिर भी, उनकी आलोकमयी विरासत आज भी विश्वभर में अनगिनत जीवों को प्रेरित और साधना पथ पर अग्रसर कर रही है।
हमारे पूज्य गुरुवर, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की सबसे प्रिय और प्रतिष्ठित सुपुत्री के रूप में, बड़ी दीदी के 75 वर्षों की यह सांसारिक जीवन श्रृंखला भक्ति, ज्ञान और अद्वितीय निःस्वार्थ सेवा का एक अनुपम उदाहरण है। उनके जीवन का हर क्षण उन दिव्य गुणों का प्रतीक है, जिन्हें उन्होंने अपनाया और साकार किया।
सेवा यज्ञ का आदर्श
बड़ी दीदी ने अपने संपूर्ण जीवन को एक समिधा की भांति समर्पित कर श्री महाराज जी के दिव्य लक्ष्य रूपी सेवा यज्ञ को साकार किया। उन्होंने श्री महाराज जी के प्रकल्पों को सतत विकसित और विस्तारित करने के लिए अथक प्रयास किए, जिससे ये प्रकल्प आशा और सेवा के दीपस्तंभ बन गए। उनके अद्वितीय प्रयासों से जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय, श्री कृपालु धाम मनगढ़ और बरसाना जैसी परियोजनाएँ न केवल जारी रहीं, बल्कि उनका अपार विस्तार भी हुआ।
साथ ही उन्होंने जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय, वृंदावन की स्थापना की, जो दूर-दूर तक अनगिनत अविकसित क्षेत्रों के गरीब परिवारों के जीवन को प्रकाशमय बना रहा है।
कृपालु धाम मनगढ़ स्तिथ भक्ति मंदिर और वृंदावन में प्रेम मंदिर का उनका संचालन उनकी अद्वितीय देखभाल और भक्ति का प्रमाण है। उन्होंने बरसाना में कीर्ति मंदिर का उद्घाटन किया, वृंदावन में प्रेम भवन का निर्माण करवाया, कृपालु धाम मनगढ़ में अनोखे गुरु धाम भक्ति मंदिर की परिकल्पना और निर्माण पूरा किया, और जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को समर्पित भव्य संग्रहालय की सुदृढ़ नींव रखी। इन सभी अनुपमेय कार्यों में उनकी आध्यात्मिक दृष्टि और मानवता के प्रति प्रेम प्रतिबिंबित होता है, जो दिव्य कृपा के शाश्वत प्रतीक बन गए हैं।
उनके प्रत्येक प्रयास में उनकी प्रिय छोटी बहनें, डॉ. सुश्री श्यामा त्रिपाठी जी (मंझली दीदी) और डॉ. सुश्री कृष्णा त्रिपाठी जी (छोटी दीदी), अडिग विश्वास के साथ उनके साथ खड़ी रहीं। उनका आपसी प्रेम, देखभाल, और समर्पित तत्परता एक दिव्य बंधन का उदाहरण है। तीनों बहनों ने अपने आपसी प्रेम और एकता के माध्यम से एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणादायी रहेगा।
दिव्यगुणों की मूर्ति
बड़ी दीदी के मधुर और सरल शब्दों में श्री महाराज जी का ज्ञान समाहित होता, और उनकी प्रेमपूर्ण दृष्टि में पूज्य अम्मा जी की करुणा और सरलता का दर्शन होता। उनकी कृपा और स्थिरता ने उन्हें दिव्य गुणों की प्रतिमूर्ति बना दिया, जो उनके सान्निध्य में रहने वालों को हमेशा प्रेरित करती थी।
प्रेरणादायक मार्गदर्शन
अपने गहरे अंतर्दृष्टि और सहज मार्गदर्शन से बड़ी दीदी ने हर चुनौती को दूसरों को ऊपर उठाने के अवसर में बदल दिया। उनकी बुद्धिमत्ता, सादगी और प्रेमपूर्ण स्वभाव ने उन्हें सभी का प्रिय मित्र, संरक्षक और मार्गदर्शक बना दिया।
दिव्यता की ज्योति
बड़ी दीदी की मधुर मुस्कान, कोमल स्वभाव, और पवित्र हृदय ने हर उस जीव को मोहित कर लिया, जो उनके संपर्क में आया। उन्होंने हर कार्य में ऊर्जा, उत्साह और भक्ति का संचार किया, जिससे श्री राधा-कृष्ण, श्री गुरुवर, और उनके दिव्य लक्ष्य के प्रति प्रेम और समर्पण जागृत हुआ।
हम बड़ी दीदी की शाश्वत विरासत का उत्सव मनाते हैं और उन्हें एक ऐसी मार्गदर्शक शक्ति के रूप में देखते हैं, जिनकी आभा आध्यात्मिक लोक से हमें पोषित और प्रेरित करती रहेगी। यद्यपि उनका भौतिक स्वरूप हमारे साथ नहीं है, परंतु उनकी प्रेम और शिक्षाओं की ज्योति उन सभी हृदयों में सदैव प्रकाशित रहेगी, जिन्हें उन्होंने छुआ।
हम उनके दिव्य आशीर्वाद की कामना करते हैं और उनके स्मरण में यह संकल्प लेते हैं कि हम उनकी निःस्वार्थ सेवा, भक्ति, और मानवता के प्रति प्रेम की ज्योति को निष्ठापूर्वक आगे बढ़ाते रहेंगे।
हमारी पूज्य और प्रिय बड़ी दीदी, यद्यपि हमें आपका सान्निध्य सतत महसूस होता है, पर आपकी मुस्कान बहुत याद आती है।
- जगद्गुरु कृपालु परिषत्
Created On :   3 Dec 2024 12:45 PM IST