राजनीति: गुरु पूर्णिमा पर शिष्य और गुरु, दोनों भूमिका में दिखेंगे सीएम योगी

गोरखपुर, 8 जुलाई (आईएएनएस)। सनातन विचार दर्शन एवं संस्कृति में गुरु-शिष्य के रिश्ते को प्रतिष्ठित करने वाले पावन पर्व गुरु पूर्णिमा गोरक्षपीठ के लिए विशेष होती है। यह वह अवसर होता है, जब गोरक्षपीठाधीश्वर नाथपंथ के आदिगुरु महायोगी गोरखनाथ सहित पीठ के अपने पूर्ववर्ती गुरुजनों की पूजन-स्तुति करते हैं और तदुपरांत अपने शिष्यों और गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं को स्नेहाशीष से अभिसिंचित करते हैं।
गोरक्षपीठ की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई, गुरुवार) पर शिष्य और गुरु दोनों भूमिकाओं में दिखेंगे।
यूं तो गोरक्षपीठ, गोरखनाथ मंदिर में धर्म-अध्यात्म की मंगलध्वनि अहर्निश गुंजायमान रहती है, पर गुरु पूर्णिमा का पर्व यहां बेहद खास होता है। इस दिन के विशेष आयोजन में सहभागी बनने की गोरक्षपीठ के श्रद्धालुओं की उत्कंठा प्रबल होती है। नाथपंथ मुख्यतः गुरुगम्य मार्ग है। इस लिहाज से गोरक्षपीठ और गुरु पूर्णिमा का अटूट नाता है। गुरु-शिष्य परंपरा इस पीठ के मूल में है। गुरु परंपरा से ही नाथ परंपरा आगे बढ़ी है। यही वजह है कि गोरक्षपीठ, गुरु परंपरा के प्रतीक के तौर पर पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित है।
हर काल में इस परंपरा को कायम रख पीठ ने कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। शिवावतार भगवान गोरखनाथ ने योग को लोक कल्याण का माध्यम बनाया तो उनके अनुगामी नाथपंथ के मनीषियों ने लोक कल्याणकारी अभियान को गति दी।
उल्लेखनीय है कि सनातन संस्कृति गुरु को गोविंद (भगवान) से भी ऊंचे स्थान पर प्रतिष्ठित करती है। गुरु का ध्येय समग्र रूप में लोक कल्याण होता है और इसकी दीक्षा भी वह अपने शिष्य को देता है। गुरु परंपरा के आईने में देखें तो नाथपंथ की विश्व प्रसिद्ध गोरक्षपीठ बेमिसाल है। पीढ़ी दर पीढ़ी गोरक्षपीठाधीश्वरों ने अपने गुरु से प्राप्त लोक कल्याण की परंपरा को विस्तारित किया है। वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ इसे निरंतर ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं।
गुरु परंपरा के लोक कल्याणकारी कार्यों के अनुगमन में गोरक्षपीठ की गत-सद्यः तीन पीढ़ियां तो कीर्तिमान रचती नजर आती हैं। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप के शिल्पी ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने लोक कल्याण के लिए शिक्षा को सबसे सशक्त माध्यम बनाते हुए 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की।
उदात्तमना ब्रह्मलीन महंत जी ने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने दो महाविद्यालय भी दान में दे दिए थे। उनके समय में ही लोगों को हानिरहित व सहजता से उपलब्ध चिकित्सा सुविधा हेतु मंदिर परिसर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की भी स्थापना हुई थी। अपने गुरु द्वारा शुरू किए गए इन प्रकल्पों को अपने समय में उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने विस्तार दिया। शिक्षा, चिकित्सा, योग सहित सेवा के सभी प्रकल्पों को नया आयाम दिया।
ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के शिष्य एवं वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक कल्याण के लिए अपने दादागुरु द्वारा रोपे और अपने गुरु द्वारा सींचे गए पौधे को वटवृक्ष सरीखा बना दिया है। किराए के एक कमरे में शुरू शिक्षा का प्रकल्प दर्जनों संस्थानों के साथ ही विश्वविद्यालय तक विस्तारित हो चुका है। इलाज के लिए गोरक्षपीठ की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ चिकित्सालय की ख्याति पूरे पूर्वांचल में है। गोरक्षपीठ से योग के प्रसार को लगातार गति मिली है। पीठ की गुरु परंपरा में लोक कल्याण के मिले मंत्र की सिद्धि योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री की भूमिका में भी नजर आती है।
मुख्यमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद की तमाम व्यस्तताओं के बावजूद गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु का आशीर्वाद लेने और शिष्यों को आशीर्वाद देने के लिए गोरखनाथ मंदिर जरूर पहुंचते हैं। इसी क्रम में इस बार भी गुरुवार को वह गुरु पूर्णिमा पूजा के लिए मंदिर में मौजूद रहेंगे।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   8 July 2025 5:45 PM IST