मेघालय सीएम संगमा ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर दिया जोर, माना- 'बदलाव धीरे-धीरे ही संभव'
शिलांग, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने गुरुवार को परिसर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान सेंट जेवियर्स हायर सेकेंडरी स्कूल, तुरा की प्लेटिनम जुबली स्मारिका का विमोचन भी किया।
यहां संस्थान की स्थापना के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया, जिसमें जाने-माने लोग, पुराने विद्यार्थी और अभिभावक शामिल हुए।
अपने भाषण में युवाओं और शिक्षा पर फोकस करते हुए, संगमा ने कहा कि मेघालय एक नाजुक डेमोग्राफिक मोड़ पर है, यहां 38 लाख की आबादी (प्रदेश की कुल संख्या की आधी) 20 साल से कम उम्र की है।
इस स्थिति को “एक बहुत बड़ा मौका और एक बड़ी चुनौती” बताते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि सही दिशा निर्देशन और मूल्य आधारित शिक्षा के बिना, राज्य की युवा आबादी “सब कुछ बर्बाद” कर सकती है।
संगमा ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की प्राथमिकता बेहतर मौके उपलब्ध कराना और मूल्यों के जरिए युवाओं को सही दिशा देना रही है।
मुख्यमंत्री ने माना कि शिक्षा क्षेत्र पर 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना खर्च के बावजूद, गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि मेघालय में लगभग 55,000 शिक्षक और करीब 15,000 स्कूल हैं। दूरदराज के इलाकों में बच्चों को न के बराबर मिलती सुविधाओं की बात करते हुए संगमा ने कहा, “इस संरचना में सुधार करना मुश्किल है और यह रातों-रात नहीं हो सकता। इसके लिए अगले 15 से 20 सालों में धीरे-धीरे काम करने की जरूरत होगी, लेकिन अच्छे सुधार के लिए यह जरूरी है।”
उन्होंने आगे कहा कि सुधार के साथ-साथ संस्कृति का बचाव भी जरूरी है, और इस बात पर जोर दिया कि मेघालय की भाषाई विरासत को बचाने के लिए छात्रों को चौथी और पांचवीं तक खासी और गारो दोनों सीखनी चाहिए।
संगमा ने सेंट जेवियर्स की भी तारीफ की कि उसने अपने 75 साल के सफर में राज्य को कुछ सबसे अच्छे विद्यार्थी दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री विशेष विकास निधि से एक नई स्कूल बस और स्कूल बैंड के लिए वाद्ययंत्र देने का ऐलान किया।
इससे पहले, बिशप एंड्रयू आर. मारक ने मिशनरीज ऑफ क्राइस्ट जीसस की दशकों की सेवा के लिए तारीफ की, जबकि सिस्टर मार्लिन पिंटो ने 1948 से स्कूल के विकास के बारे में बताया। फूस की छत से शुरू हुए स्कूल से लेकर विशेष शिक्षा और एनआईओएसी प्रोग्राम सहित इसकी आधुनिक कोशिशों तक का जिक्र किया।
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Created On :   4 Dec 2025 7:36 PM IST












