एसएंडपी ने भारत के दिवालियापन ढांचे को मजबूत क्रेडिटर सुरक्षा के चलते अपग्रेड किया

एसएंडपी ने भारत के दिवालियापन ढांचे को मजबूत क्रेडिटर सुरक्षा के चलते अपग्रेड किया
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के दिवालियापन ढांचे को ग्रुप सी से ग्रुप बी में अपग्रेड कर दिया है। इसकी वजह दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से मजबूत क्रेडिटर सुरक्षा और दक्षता मिलना है।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के दिवालियापन ढांचे को ग्रुप सी से ग्रुप बी में अपग्रेड कर दिया है। इसकी वजह दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से मजबूत क्रेडिटर सुरक्षा और दक्षता मिलना है।

यह अपग्रेड ऐसे समय पर आया है, जब हाल ही में एसएंडपी ने भारत की "क्रेडिटर मित्रता" स्कोर को कमजोर से मध्यम में अपग्रेड किया है। यह स्कोर क्रेडिटर-संचालित समाधानों के ट्रैक रिकॉर्ड को दिखाता है।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हाल के मामलों में उच्च रिकवरी दर और समयबद्धता में इजाफा होने के कारण सिस्टम में विश्वास बढ़ा है।

एसएंडपी ने नोट में कहा कि हमारे हिसाब से आईबीसी ने क्रेडिट अनुशासन को मजबूत किया है और रेजोल्यूशन प्रोसेस को क्रेडिटर्स के पक्ष में कर दिया है, जिससे प्रमोटर्स को अपने बिजनेस पर नियंत्रण खोने का जोखिम हो सकता है, जबकि पहले के रेजोल्यूशन सिस्टम में ऐसा नहीं होता था।

रिपोर्ट में बताया गया कि प्री-आईबीसी रिजीम में रिकवरी 15-20 प्रतिशत के करीब थी, जबकि अब यह 30 प्रतिशत से ऊपर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब लोन को सुलझाने का औसत समय भी तेजी से घटकर लगभग दो साल हो गया है, जो पहले छह से आठ साल था।

इस प्रगति को नोट करते हुए, रेटिंग एजेंसी ने चेतावनी दी कि भारत का इन्सॉल्वेंसी सिस्टम अभी भी ग्रुप ए में ज्यादा परिपक्व सिस्टम और ग्रुप बी के कुछ इलाकों से पीछे है।

रेटिंग एजेंसी ने बताया कि ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से ओवरऑल रिकवरी रेट मामूली बनी हुई है और अलग-अलग सेक्टर में काफी अलग-अलग हैं, जिसमें स्टील और पावर जैसी एसेट-हैवी इंडस्ट्री बेहतर परफॉर्म कर रही हैं।

एसएंडपी ने स्ट्रक्चरल चिंताओं पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड क्रेडिटर एक ही क्लास में एक साथ वोट करते हैं, जिससे अनसिक्योर्ड कर्ज के बड़े होने पर सिक्योर्ड लेंडर्स का असर कम हो सकता है।

एसएंडपी ने बताया कि गलत नतीजों को रोकने के लिए बनाए गए तरीकों का असर – जैसे रिकवरी वैल्यू लिक्विडेशन बेंचमार्क को पूरा करें और कोर्ट की पूरी निगरानी बनाए रखें – पर लगातार नजर रखने की जरूरत होगी।

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Created On :   4 Dec 2025 7:23 PM IST

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