राज्यसभा में ई-वेस्ट पर चिंता, ई-कचरे से हर साल 15 लाख लोगों की मौत सुभाष बराला
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। राज्यसभा में गुरुवार को ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरे का मुद्दा उठाया गया। इस दौरान राज्यसभा में बताया गया कि अमेरिका और चीन के बाद सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक कचरा भारत में हो रहा है। यही नहीं, विकसित देशों का इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी भारत लाकर रीसाइकल किया जा रहा है। इससे भारत में इलेक्ट्रॉनिक कचरा काफी बढ़ गया है। इस ई-वेस्ट से खतरनाक रसायन निकलते हैं, जिससे हर साल 15 लाख लोगों की मौत हो रही है। यह जानकारी भाजपा सांसद सुभाष बराला ने सदन के समक्ष रखी।
सुभाष बराला ने राज्यसभा में कहा कि बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, वैश्विकता और बुनियादी ढांचे में विस्तार के कारण वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच लाख मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न हुआ। यह दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर आता है। यह बहुत बड़ी मात्रा है। इसका मुख्य कारण सही से ई कचरे का निपटान न होना और इसकी अवैध डम्पिंग है। घरेलू और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले ई कचरे को कहीं भी फेंक दिया जाता है, जिससे उसमें होने वाली रासायनिक क्रियाओं के कारण से खतरनाक रसायनों का रिसाव होता है। इससे भूमि प्रदूषित होती है और भूजल भी प्रदूषित होता है।
ई कचरे में निहित धातु को निकालने के लिए कई स्थानों पर इन्हें खुले में जलाया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण भी होता है। इनसे एक हजार से अधिक जहरीले पदार्थ निकलते हैं, जो मानव जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक होते हैं। इनसे लोगों को बीमारियों हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में इससे हर वर्ष लगभग 15 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
सुभाष बराला ने राज्यसभा को बताया कि सिर्फ भारत की औद्योगिक इकाई एवं घरों से निकलने वाला ई-कचरा ही नहीं, बल्कि विकसित देशों से भी ई-कचरा भारत लाया जाता है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों के मुताबिक विकसित देशों का 80 प्रतिशत ई-कचरा भारत लाया जाता है। इस ई-कचरे को यहां रिसाइकल किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान भी प्रदूषण फैलता है। रीसाइकल के बाद ई-कचरे का दूसरे कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि ई-कचरे की इस खतरनाक रिसाइक्लिंग प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए बाल श्रमिकों का इस्तेमाल किया जाता है। लागत को कम करने के लिए छोटे बच्चों को इस काम में लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि री साइक्लिंग के दौरान ई-कचरे से खतरनाक एवं जहरीले पदार्थ निकलते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब हैं।
सुभाष बराला ने राज्यसभा को जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे बाल मजदूरों की संख्या लगभग साढ़े चार लाख है। उन्होंने इन बच्चों की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन बाल श्रमिकों की सुरक्षा बेहद गंभीर विषय है। बराला ने सदन में कहा कि ई-कचरे के इस निपटान के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन द्वारा ई-कचरे के विघटन और पुनर्चक्रण को प्रभावी बनाया जाए, ताकि ई-कचरे से होने वाले दुष्प्रभावों को रोका जा सके।
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|
Created On :   4 Dec 2025 7:36 PM IST












