अर्थव्यवस्था: भारत का अप्रैल-दिसंबर राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के लक्ष्य का 55 प्रतिशत

भारत का अप्रैल-दिसंबर राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के लक्ष्य का 55 प्रतिशत
अप्रैल-दिसंबर 2023 के बीच 9 महीने में भारत का राजकोषीय घाटा 9.82 लाख करोड़ रुपए है, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त होने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य का 55 प्रतिशत है। महालेखा नियंत्रक द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों में ये बात कही गई है।

नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। अप्रैल-दिसंबर 2023 के बीच 9 महीने में भारत का राजकोषीय घाटा 9.82 लाख करोड़ रुपए है, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त होने वाले पूरे वित्तीय वर्ष के लक्ष्य का 55 प्रतिशत है। महालेखा नियंत्रक द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों में ये बात कही गई है।

राजकोषीय घाटा यानि फिस्कल डेफिसिट नियंत्रण में होने के कारण, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास आर्थिक विकास दर को बढ़ाने और गरीबों को लाभ पहुंचाने के लिए सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए पर्याप्त आवंटन के लिए अधिक गुंजाइश होगी।

पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा 17.86 लाख करोड़ रुपए या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.9 फीसदी तय किया गया है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि देश का अप्रैल-दिसंबर 2023 पूंजीगत व्यय या बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश 6.74 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2024 के लक्ष्य का 67.3 प्रतिशत है, जो कि सही दिशा में है।

बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है, राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है और सरकार को अपने पूंजीगत व्यय को पूरा करने के लिए ज्यादा उधार नहीं लेना पड़ेगा।

राजकोषीय घाटा सरकार के व्यय की तुलना में उसके राजस्व में कमी को दिखाता है।

राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को ज्यादा उधार लेना पड़ता है जिससे आर्थिक विकास दर धीमी हो जाती है। कॉरपोरेट्स और उपभोक्ताओं के पास अपने संबंधित निवेश और उपभोग की जरूरतों के लिए उधार लेने के लिए कम पैसे बचते हैं।

उच्च राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को भी बढ़ाता है और अर्थव्यवस्था के लिए अस्थिर होता है।

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Created On :   31 Jan 2024 7:22 PM IST

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