विज्ञान/प्रौद्योगिकी: आयात घटाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में जैव ईंधन अहम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी

नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को देशव्यापी जैव ईंधन क्रांति की वकालत की। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इसे भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने, जीवाश्म ईंधन के बड़े पैमाने पर आयात को कम करने और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 'सदी में एक बार मिलने वाला अवसर' बताया।
'इंटरनेशनल समिट एक्सपो ऑन बायोएनर्जी वैल्यू चेन' में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि कृषि अपशिष्ट, फसल अवशेष, बांस और बायोमास को हरित ईंधन और वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स में बदला जाए।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने भारत के 22 लाख करोड़ रुपए के जीवाश्म ईंधन आयात बिल में कटौती करने, फसल अपशिष्टों को जलाने और वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से होने वाले प्रदूषण को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा, "भारत को ऊर्जा आयातक से ऊर्जा निर्यातक बनना होगा, सस्टेनेबल जैव ऊर्जा पहल के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।"
केंद्रीय मंत्री ने विमानन जैव ईंधन के क्षेत्र में सफलता के लिए ब्राजील की प्रशंसा की और कहा कि भारत ने भी अपने हवाई अड्डों पर इसी प्रकार के ईंधन विकल्पों को लागू करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, "सस्टेनेबल विमानन ईंधन भविष्य के लिए एक बड़ा बाजार है।"
उन्होंने क्वालिटी रिसर्च और आर्थिक रूप से व्यवहार्य टेक्नोलॉजी की जरूरत पर बल दिया।
उत्तर भारत में पराली जलाने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि इसे समस्या के रूप में नहीं बल्कि अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, "पंजाब और हरियाणा से प्राप्त चावल के भूसे को बायो-सीएनजी, इथेनॉल, बायो-बिटुमेन और यहां तक कि विमानन ईंधन में भी बदला जा सकता है।"
उन्होंने इंडियन ऑयल की मानपुर परियोजना को एक सफल उदाहरण बताया, जो हर साल दो लाख टन फसल अपशिष्ट को उच्च मूल्य वाले ईंधन में बदल देती है।
उन्होंने भारत की विशाल बंजर भूमि, जिसका 70 प्रतिशत हिस्सा अनुत्पादक है, को ऊर्जा उत्पादन के लिए बांस के बागानों में बदलने का भी सुझाव दिया।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि एनटीपीसी पहले ही थर्मल पावर प्लांट के लिए व्हाइट कोल के रूप में बांस खरीदने पर सहमत है, जिससे किसानों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए आय का एक नया स्रोत उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा, "कृषि को ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की ओर विविधतापूर्ण बनाया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि इथेनॉल की मांग से फसल की ऊंची कीमतें जैसे मकई की कीमतें 1,200 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,600 रुपये प्रति क्विंटल हो जाना, इस बात का प्रमाण है कि जैव ईंधन से कृषि आय में वृद्धि हो सकती है।
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Created On :   8 May 2025 5:11 PM IST