दिल्ली को मिली क्लाउड सीडिंग की अनुमति प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कृत्रिम वर्षा का ट्रायल

नई दिल्ली, 24 सितंबर (आईएएनएस)। दिल्ली की सर्दियों में हवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) की अनुमति दे दी है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग को 1 अक्टूबर 2025 से 30 नवंबर 2025 तक क्लाउड सीडिंग अभियान चलाने की मंजूरी प्रदान की है। यह अनुमति वायुयान नियम, 1937 के नियम 26(2) के तहत दी गई है, जो दिल्ली के प्रदूषण संकट से निपटने में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
डीजीसीए की ओर से जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि आईआईटी कानपुर का पंजीकृत विमान वीटी-आईआईटी (सेसना 206-एच) का उपयोग किया जाएगा। ट्रायल उत्तर दिल्ली क्षेत्र में किया जाएगा, जहां प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक रहता है। विमान हिंडन एयरबेस (गाजियाबाद) से उड़ान भरेगा, और सेना के सहयोग से संचालन सुनिश्चित होगा।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जी. एम. कामथ को संबोधित पत्र में 16 सख्त शर्तें लागू की गई हैं, जिनमें पायलटों की योग्यता, पूर्व अनुभव, वीएफआर (विजुअल फ्लाइट रूल्स) मोड में उड़ान, एटीसी से पूर्व अनुमति, बीमा, और कोई विदेशी चालक दल न शामिल करना शामिल है। साथ ही, हवाई फोटोग्राफी पर प्रतिबंध, प्रतिबंधित क्षेत्रों से परहेज, और स्थानीय प्राधिकरणों से एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य है। पत्र में कहा गया है कि किसी भी उल्लंघन पर अनुमति तत्काल रद्द की जा सकती है।
क्लाउड सीडिंग एक मौसम संशोधन तकनीक है जिसमें विमान से बादलों में सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे रसायनों को छिड़का जाता है, जो पानी की बूंदों के निर्माण को प्रेरित कर कृत्रिम वर्षा पैदा करती है। दिल्ली में सर्दियों के दौरान पराली जलाने, वाहनों के धुएं और निर्माण कार्यों से एक्यूआई 500 तक पहुंच जाता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। आईआईटी कानपुर ने 2019 से इस पर शोध किया है और जुलाई 2025 में चार सफल ट्रायल कर चुका है।
यह योजना दिल्ली कैबिनेट द्वारा 7 मई 2025 को मंजूर की गई थी, और 13 विभागों से एनओसी प्राप्त हो चुके हैं।
—आईएएनएस
एससीएच
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Created On :   24 Sept 2025 7:20 PM IST