राजनीति: रोजगार, महंगाई से त्रस्त लोग आत्महत्या कर रहे हैं तो कैसे दूर हुई गरीबी जिग्नेश मेवाणी

रोजगार, महंगाई से त्रस्त लोग आत्महत्या कर रहे हैं तो कैसे दूर हुई गरीबी  जिग्नेश मेवाणी
कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने विश्व बैंक की रिपोर्ट को मानने से इंकार किया है जिसमें कहा गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी की दर में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि जिस देश में छात्र, किसान, बेरोजगार और युवा आत्महत्या कर रहा है वहां, गरीबी कैसे दूर हो गई?

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने विश्व बैंक की रिपोर्ट को मानने से इंकार किया है जिसमें कहा गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी की दर में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि जिस देश में छात्र, किसान, बेरोजगार और युवा आत्महत्या कर रहा है वहां, गरीबी कैसे दूर हो गई?

शनिवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण इस वक्त भारत में किसान, मजदूर जूझ रहा है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी ने युवाओं के साथ अन्य वर्गों की कमर तोड़ दी है। 25 करोड़ लोगों के सिर पर छत नहीं है। 500 रुपये के लिए आज भी दलित समुदाय के लोग नाले में उतरने को तैयार हैं। 500 से 700 रुपये के लिए कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूर मरने को तैयार हैं। छात्र, किसान, बेरोजगार युवा आत्महत्या कर रहे हैं। देश में ऐसी परिस्थिति है फिर कैसे कहे कि गरीबी दूर हो गई है।

राहुल गांधी की ओर से महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग वाले बयान पर कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि वह बिल्कुल सही बात कह रहे हैं। सिर्फ महाराष्ट्र की जनता नहीं, इसे पूरे देश ने देखा है। लाखों वोट जोड़ दिए जाते हैं, ईवीएम में छेड़खानी की बात सामने आती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस मुद्दे को उठाते हैं। भाजपा और आरएसएस का काम है कि वह चुनाव को सिर्फ बाधित करते हैं।

कांग्रेस विधायक ने कहा कि पिछले 10 साल से आरएसएस-भाजपा के लोगों ने कमजोर लोगों पर सिर्फ और सिर्फ अत्याचार किया है। देश में संविधान को मानने वाले लोगों में इस बात को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह, भाजपा और आरएसएस, बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान में यकीन नहीं रखते हैं, बल्कि वह मनुस्मृति में यकीन रखते हैं। आरएसएस-भाजपा के लोग पहले भी कह चुके हैं कि बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को समुद्र में फेंक दो। हमें भारत का संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।

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Created On :   7 Jun 2025 5:51 PM IST

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