स्वास्थ्य/चिकित्सा: ब्रेस्ट फीड वीक नहीं भर रहा शिशु का पेट तो कौन सा दूध है बेस्ट?

ब्रेस्ट फीड वीक नहीं भर रहा शिशु का पेट तो कौन सा दूध है बेस्ट?
मां बनना एक अनमोल एहसास है। एक मां अपने बच्चे के लिए हर वो चीज करना चाहती है, जो उसके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सबसे बेहतर हो। खासतौर पर जब बात होती है शिशु के पहले छह महीनों की, तो मां की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह वह समय होता है जब बच्चे का विकास हर दिन तेजी से हो रहा होता है। ऐसे में मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम पोषण माना जाता है। लेकिन कुछ मामलों में जब मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता या किसी कारणवश बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता, तो माता-पिता के मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है?

नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। मां बनना एक अनमोल एहसास है। एक मां अपने बच्चे के लिए हर वो चीज करना चाहती है, जो उसके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए सबसे बेहतर हो। खासतौर पर जब बात होती है शिशु के पहले छह महीनों की, तो मां की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह वह समय होता है जब बच्चे का विकास हर दिन तेजी से हो रहा होता है। ऐसे में मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम पोषण माना जाता है। लेकिन कुछ मामलों में जब मां का दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता या किसी कारणवश बच्चा स्तनपान नहीं कर पाता, तो माता-पिता के मन में एक ही सवाल उठता है कि क्या गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है?

इस सवाल के जवाब में नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने कुछ बेहद अहम जानकारियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि एक साल से पहले शिशु को किसी भी प्रकार का बाहरी दूध देना उचित नहीं होता, चाहे वह गाय का हो या भैंस का। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज शिशु को संक्रमण से बचाती हैं, वहीं गाय और भैंस के दूध में ये सुरक्षा तत्व नहीं होते। ऐसे में यह सोचना कि बाहरी दूध से बच्चे को इम्युनिटी मिलेगी, गलत धारणा है।

डॉ. मीरा बताती हैं कि गाय और भैंस के दूध में प्रोटीन और वसा की मात्रा अधिक होती है, जो नवजात के पाचन तंत्र के लिहाज से भारी है। इससे बच्चों को डायरिया, उलटी, सांस लेने में परेशानी, खुजली और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। भैंस के दूध में कैलोरी अधिक होती है, जिससे बच्चे का वजन असामान्य रूप से तेजी से बढ़ सकता है। वहीं, इन दूधों में विटामिन सी, ई, जिंक, फाइबर और फैटी एसिड जैसे जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा भी बहुत कम होती है, जो बच्चे के संपूर्ण विकास में बाधा बन सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर दूध को अच्छी तरह से उबाला न जाए, तो इससे शिशु में ट्यूबरकुलोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। इसके अलावा, इस दूध में आयरन की मात्रा कम होती है, जिससे एनीमिया की आशंका भी बढ़ जाती है।

अब ऐसे में सवाल आता है कि क्या कभी गाय या भैंस का दूध दिया जा सकता है? इस पर डॉ. मीरा पाठक कहती हैं कि यदि किसी विशेष परिस्थिति में फॉर्मूला दूध उपलब्ध नहीं है और डॉक्टर की सलाह पर बाहरी दूध देने की जरूरत पड़े, तो भैंस की तुलना में गाय का दूध हल्का होता है और शिशु के लिए थोड़ा बेहतर विकल्प माना जा सकता है। लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी होंगी, जैसे दूध को अच्छी तरह उबालें और किसी भी तरह की चीनी या मिठास मिलाने से बचें, क्योंकि शिशु की किडनी के लिए शुगर नुकसानदायक हो सकती है।

डॉक्टर ने कहा कि गाय के दूध को सीधे रूप में न दें। इसकी कुछ मात्रा दलिया, खिचड़ी, या मैश राइस जैसे ठोस आहार में मिलाकर दी जा सकती है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि गाय या भैंस का दूध मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क का विकल्प नहीं है।

आखिर में, डॉ. मीरा पाठक की सलाह है कि शिशु को शुरुआती छह महीने तक सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं, और यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो, तो बाल रोग विशेषज्ञ को जरूर कंसल्ट करें।

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Created On :   5 Aug 2025 4:16 PM IST

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