राजनीति: राष्ट्रीय चिह्न को निशाना बनाना, नेशनल कांफ्रेंस की नीच मानसिकता को दर्शाता है सुनील शर्मा

राष्ट्रीय चिह्न को निशाना बनाना, नेशनल कांफ्रेंस की नीच मानसिकता को दर्शाता है  सुनील शर्मा
भाजपा विधायक और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने श्रीनगर की हजरतबल दरगाह के जीर्णोद्धार के बाद लगाई गई पट्टिका पर बने अशोक स्तंभ के चिन्ह को तोड़े जाने की घटना पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रीय चिन्ह को निशाना बनाया गया है। वह, नेशनल कांफ्रेंस की नीच मानसिकता को दर्शाता है।

जम्मू, 6 सितंबर(आईएएनएस)। भाजपा विधायक और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने श्रीनगर की हजरतबल दरगाह के जीर्णोद्धार के बाद लगाई गई पट्टिका पर बने अशोक स्तंभ के चिन्ह को तोड़े जाने की घटना पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से राष्ट्रीय चिन्ह को निशाना बनाया गया है। वह, नेशनल कांफ्रेंस की नीच मानसिकता को दर्शाता है।

आईएएनएस से बातचीत में भाजपा विधायक ने कहा कि चिन्ह लगाना या नहीं लगाना अलग बात है, लेकिन राष्ट्रीय चिह्न को निशाना बनाना क्या सही है? यह नेशनल कांफ्रेंस की नीच मानसिकता को दर्शाता है।

भाजपा विधायक ने दावा किया कि नेशनल कांफ्रेंस ने हमेशा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। नेशनल कांफ्रेंस हमेशा से अलगाववादी विचारों की समर्थक रही है। आतंकवादियों की संरक्षक रही है।

कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि मैं यहां इस वक्त किसी को सर्टिफिकेट बांटने नहीं आया हूं, लेकिन यदि कांग्रेस पार्टी भी राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ने वालों के साथ खड़ी है, तो हम उसे भी उसी श्रेणी में रखेंगे, जहां अलगाववादी सोच खड़ी होती है। आज कांग्रेस भी वहीं खड़ी है।

बता दें कि भाजपा लगातार उमर अब्दुल्ला की सरकार पर इस घटना को लेकर हमलावर है।

इस बीच जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस की ओर से एक पोस्ट शेयर किया गया। जिसमें शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के सिद्धांतों- हिंदू, मुस्लिम, सिख एकता और सभी धर्मों के लिए सम्मान पर जोर दिया गया है। पोस्ट में हजरतबल दरगाह में चित्रात्मक या प्रतीकात्मक चित्रण जैसी प्रथाओं पर चिंता जताई गई है, जो इस्लाम के तौहीद सिद्धांत के खिलाफ मानी जाती है।

पोस्ट में आगे लिखा गया है, यह कृत्य श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं का अपमान माना गया है। इसलिए यह गंभीर चिंता का विषय है कि इस्लाम के मूल सिद्धांतों के विपरीत प्रथाओं, जैसे कि जीवित प्राणियों के चित्रात्मक या प्रतीकात्मक चित्रण का उपयोग, पवित्र हज़रतबल दरगाह - हमारे लोगों के आध्यात्मिक हृदय - जहां हर दिन हजारों लोग नमाज के लिए इकट्ठा होते हैं। उसके अंदर शुरू किया जा रहा है। इस्लाम में, तौहीद का सिद्धांत स्पष्ट रूप से इस तरह के चित्रण को प्रतिबंधित करता है। श्रद्धालुओं के लिए, यह कोई छोटी बात नहीं है, बल्कि उनकी गहरी धार्मिक भावनाओं का सीधा अपमान है।

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Created On :   6 Sept 2025 8:16 PM IST

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