धर्म: काशी का पिशाच मोचन कुंड यहां श्राद्ध से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति

काशी का पिशाच मोचन कुंड  यहां श्राद्ध से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति
पूर्णिमा श्राद्ध की शुरुआत के साथ वाराणसी में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जिन लोगों की पितृपक्ष की तिथि पूर्णिमा को आती है, वे आज श्राद्ध और पिंडदान कर रहे हैं। वहीं, सोमवार से पितृपक्ष का श्राद्ध पक्ष आरंभ होगा, जो आगामी 14 दिनों तक चलेगा।

वाराणसी, 7 सितंबर (आईएएनएस)। पूर्णिमा श्राद्ध की शुरुआत के साथ वाराणसी में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जिन लोगों की पितृपक्ष की तिथि पूर्णिमा को आती है, वे आज श्राद्ध और पिंडदान कर रहे हैं। वहीं, सोमवार से पितृपक्ष का श्राद्ध पक्ष आरंभ होगा, जो आगामी 14 दिनों तक चलेगा।

इस अवसर पर काशी के प्राचीन और श्रद्धा-स्थल पिशाच मोचन कुंड पर प्रतिदिन 25 से 30 हजार श्रद्धालु जुटते हैं। यहां वे विधि-विधान से अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड में किए गए श्राद्ध से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूर्णिमा श्राद्ध पर वाराणसी पहुंचे जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है। मृत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है। जयप्रकाश मिश्र प्रयागराज से वाराणसी आए हैं।

उन्होंने बताया कि मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पिशाच मोचन कुंड के शास्त्री नीरज कुमार पांडेय ने कहा कि मरने के बाद काशी में मुक्ति तो मिलती है, लेकिन अगर कोई परिवार का सदस्य पिशाच मोचन पर पिंडदान और श्राद्ध करता है तो उससे उनके मृत परिजन को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। यह परंपरा अनादिकाल से चल रही है।

उन्होंने कहा कि जो भी प्रेत या ब्रह्म दोष होते हैं, पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलेगी। शास्त्री नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि पिशाच मोचन कुंड पर एक दिन में करीब 25 से 30 हजार लोग पहुंचते हैं।

पिशाच मोचन कुंड के शास्त्री चंदन पांडेय ने कहा कि सोमवार से 15 दिन के लिए पितृपक्ष की शुरुआत होगी। यहां बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करने पहुंचते हैं। विशेष विधि विधान यह है कि अगर पितृ प्रेत योनि में भी हैं तो पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान से मुक्ति मिलती है।

उन्होंने बताया कि श्रद्धालु यहां आते हैं। पिंडदान करने के बाद वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इससे इन लोगों को सुख-शांति और घर-परिवार में आने वाली बाधा दूर होती है।

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Created On :   7 Sept 2025 10:58 AM IST

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