ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियान ने खाई कसम, 'आक्रमणकारियों के आगे नहीं झुकेंगे हम'

ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियान ने खाई कसम, आक्रमणकारियों के आगे नहीं झुकेंगे हम
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने "आक्रमणकारियों के आगे कभी नहीं झुकने" की कसम खाई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए उन्होंने इजरायल-यूएस के आक्रमण का जिक्र किया और शांति प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया।

न्यूयॉर्क, 24 सितंबर (आईएएनएस)। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने "आक्रमणकारियों के आगे कभी नहीं झुकने" की कसम खाई है। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए उन्होंने इजरायल-यूएस के आक्रमण का जिक्र किया और शांति प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, "यहूदी शासन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के शहरों, घरों और बुनियादी ढांचों पर ठीक उसी समय हवाई हमले किए, जब हम कूटनीतिक वार्ता के रास्ते पर चल रहे थे। यह कदम एक गंभीर विश्वासघात है और स्थिरता एवं शांति के प्रयासों को विफल करने वाला है।"

पेजेशकियान ने इजरायल-यूएस के हमलों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के खिलाफ बताते हुए आगे कहा, "आक्रामकता के इस बेशर्म कृत्य ने मेरे देश के कई कमांडरों, नागरिकों, बच्चों, महिलाओं, वैज्ञानिकों और बौद्धिक अभिजात वर्ग को खत्म कर दिया। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय विश्वास और क्षेत्र में शांति की उम्मीदों को गहरा आघात पहुंचाया है। क्या हमें अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के ऐसे खतरनाक उल्लंघन को यूं ही जाने देना चाहिए, उनका सामना नहीं करना चाहिए?"

पेजेशकियान ने इजरायल पर गाजा पट्टी में "नरसंहार" का आरोप लगाया।

ईरानी राष्ट्रपति ने परमाणु हथियार से दूर रहने की बात करते हुए कहा, "हम परमाणु हथियार नहीं चाहते। यह हमारा विश्वास है, जो सर्वोच्च नेता और धार्मिक गुरुओं द्वारा जारी किए गए आदेश पर आधारित है।"

उन्होंने यहूदी शासन की मंशा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, "बड़ी बेबाकी और हास्यास्पद तरीके से ग्रेटर इजरायल बनाने की बात कही जाती है। यह योजना क्षेत्र के एक बड़े हिस्से को शामिल करती है। ये नक्शे ही यहूदी शासन के असली इरादों को उजागर करते हैं, वो इरादे जिनका हाल ही में उनके प्रधानमंत्री (नेतन्याहू) ने खुले तौर पर समर्थन किया है।"

पेजेशकियान के अनुसार, "दुनिया में कोई भी इस शासन की आक्रामक चालों से सुरक्षित नहीं है। वे अपनी उपस्थिति बल के माध्यम से थोपते हैं और इसे शांति का नाम देते हैं। फिर भी यह न तो शांति है और न ही शक्ति। यह कुछ और नहीं बल्कि आक्रामकता है।"

12 दिनों तक चले इजरायल-ईरान युद्ध के बाद किसी वैश्विक मंच पर पहली बार पेजेशकियान ने अपनी बात रखी।

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Created On :   24 Sept 2025 9:00 PM IST

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