Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की उपासना, जानिए कैसे पड़ा देवी का ये नाम और क्या है पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की उपासना, जानिए कैसे पड़ा देवी का ये नाम और क्या है पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के तीन दिन निकल चुके हैं और चौथा दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) को समर्पित है। मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की धूम हर ओर देखने को मिल रही है। सुबह से ही माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो जाता है। इस महापर्व के तीन दिन निकल चुके हैं और चौथा दिन मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) को समर्पित है।

ऐसा माना जाता है कि, मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। मां कुष्मांडा की पूजा से ग्रहों के राजा सूर्य से उत्पन्न दोष भी दूर होते हैं।

कैसे पड़ा कुष्‍मांडा नाम?

भगवती पुराण के अनुसार, त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सृष्टि की रचना का विचार किया था, लेकिन उस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड शांत था और चारों ओर अंधकार था। ऐसे में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना के लिए मां दुर्गा से सहायता मांगी और फिर मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इनका नाम कुष्‍मांडा पड़ा।

मां का चौथा स्वरूप?

देवी के चौथे स्वरूप यानि कि कुष्मांडा माता की आठ भुजाएं हैं। इनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है।

कैसे करें मां कूष्मांडा की पूजा?

- माता की पूजा वाले दिन हरे या संतरी रंग के वस्त्र धारण करें

- माता की तस्वीर के सामने बैठकर मां कूष्मांडा का ध्यान करें।

- माता को कमल गट्टे, गेंदा या गुलदाउदी के फूल अर्पित करें

- पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें।

- मां कूष्मांडा को अपनी उम्र की संख्या के अनुसार हरी इलाइची अर्पित करें और हर इलाइची अर्पित करने के साथ "ॐ बुं बुधाय नमः" का जाप करें।

- इसके बाद सभी इलायची को एकत्रित करके हरे ​कपड़े में बांधकर नवरात्रि तक अपने पास रखें।

- माता को धूप, दीप, कपूर, फल और मिठाई अर्पित करें।

- इस दिन माता को मालपुए बनाकर विशेष भोग लगाएं।

- इसके बाद आरती करें और प्रसाद परिवार में बांटें।

मंत्र

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   24 Sept 2025 11:40 PM IST

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