Shardiya Navratri 2025: दो दिन होगी मां चंद्रघंटा की पूजा, नवरात्रि पर 27 साल बाद बना ऐसा अद्भुत संयोग

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नवरात्रि का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 अलग- अलग स्वरूपों की पूजा किए जाने का विधान है। फिलहाल, शारदीय नवरात्रि चल रही है और तीसरा दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित है। लेकिन, इस बार एक खास संयोग के चलते देवी के इस स्वरूप की दो दिनों तक पूजा की जाएगी।
आपको बता दें कि इस साल शारदीय नवरात्रि पूरे 10 दिनों की पड़ रही है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल तृतीया तिथि एक नहीं बल्कि दो दिन पड़ रही है। ऐसे में मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा दो दिनों तक की जाएगी। ऐसा संयोग 27 साल बाद बना है। आइए जानते हैं माता के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में...
क्या है मान्यता?
ऐसी मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा करता है उसे आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही मां की उपासना करने वाले भक्त को संसार में यश, कीर्ति और सम्मान की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है, माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों पर कृपा करती है और निर्भय और सौम्य बनाता है। मां के दिव्य स्वरूप के ध्यान से हमारी मानसिक में स्थिरता आती है। यह स्वरूप हमें विनम्रता और सौम्यता का विकास कर संस्कारमय जीवन जीने का संदेश देता है।
कैसा है स्वरूप?
मां चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इस रूप में देवी परम शांतिदायक और कल्याणकारी हैं। माता का शरीर स्वर्ण की तरह उज्जवल है। इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ हैं जिसमें कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं। सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए तैयार दिखता है।
पूजा विधि
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- इसके बाद देवी चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें।
- माता की प्रतिमा के सामने घी का दिया जलाएं
- फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें।
- माता के परिवार के देवता, गणेश, लक्ष्मी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती और जया नामक योगिनी की पूजा करें।
- देवी चन्द्रघंटा की आरती करें।
पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   23 Sept 2025 9:19 PM IST












