Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर देवता मनाते हैं दिवाली, जानिए इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के आठवें महीने कार्तिक (Kartik) का काफी महत्व बताया गया है। वहीं इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को विशेष रूप से मनाया जाता है। इसे कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के अलावा त्रिपुरारी पूर्णिमा (Tripurari Purnima) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी, माता तुलसी और भगवान शिव की आराधना की जाती है। इस दिन गंगा स्नान और दीप दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
इस दिन देवी दिवाली (Dev Diwali) का पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन स्वर्ग से देवता काशी में आकर देव दिवाली मनाते हैं। बता दें कि, इस वर्ष काशी नगरी में गंगा के दोनों तटों पर कुल 25 लाख दीये जलाए जाएंगे। इस वर्ष कार्तिम पूर्णिमा 05 नवंबर 2025, बुधवार को है।
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तिथि कब से कब तक
कार्तिक पूर्णिमा आरंभ: 04 नवंबर 2025, मंगलवार की रात 10 बजकर 36 मिनट से
कार्तिक पूर्णिमा समापन: 05 नवंबर 2025, बुधवार की शाम 6 बजकर 48 मिनट तक
इस विधि से करें पूजा
- कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है।
- पूजा से पहले अपने घर के मंदिर की सफाई करें और गंगा जल का छिड़काव करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखें।
- गंगा जल से स्नान कराने के बाद उनके सामने दीप जलाएं और पीले फूल अर्पित करें।
- अब तुलसी माता की पूजा करें और जल अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें।
- इसके बाद शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक करें।
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क्यों मनाया जाता है देव दिवाली का पर्व
पुराणों के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था। इसकी खुशी में सभी देवता शिव नगरी काशी गए और वहां गंगा नदी में स्नान करने के बाद भगवान शिव की आराधना की। इसके बाद प्रदोष काल में देवताओं ने घी के दीप जलाए, तब से ही देव दीपावली के दिन शाम को वाराणसी के सभी घाटों पर दीप जलाए जाते हैं।
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Created On :   4 Nov 2025 11:04 PM IST













