Hinganghat News: एक ईश्वर वाद से जिन्हें प्यार है, गुरु नानक पात्शाह को चाहता ये संसार है - शायर मजीदबेग मुगल शहजाद

एक ईश्वर वाद से जिन्हें प्यार है, गुरु नानक पात्शाह को चाहता ये संसार है - शायर मजीदबेग मुगल शहजाद
  • गुरु नानक पात्शाह का प्रकाश पर्व
  • मानवता, समानता और सत्य का संदेश
  • शायर मजीदबेग मुगल शहजाद की रचना
  • एक ईश्वर वाद से जिन्हें प्यार है

Hinganghat News. गुरु नानक पात्शाह जी के प्रकाश दिवस (आगमन दिवस) को गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उनके उपदेशों और मानवीय मूल्यों को याद करने का अवसर है। गुरु जी की शिक्षाएं मानवता, समानता और सत्य के आधार स्तंभों हैं। उन्होंने सिखाया कि ईश्वर एक है — वह हर जीव में विद्यमान है और किसी एक रूप, धर्म या जाति तक सीमित नहीं है। प्रसिद्ध शायर और कवि जनाब मजीदबेग सरदारबेग मुगल शहजाद ने भी इस पावन अवसर पर अपनी रचना के माध्यम से श्रद्धा अर्पित की है, प्रोफेसर मजीदबेग मुगल ‘शहजाद’ आर्मोस नगर के निवासी हैं और सेवा-निवृत्त शिक्षाविद् हैं। वे बहुभाषी साहित्यकार हैं, जो हिन्दी, मराठी, उर्दू और अंग्रेज़ी इन चारों भाषाओं में समान प्रवीणता के साथ काव्य रचना करते हैं। प्रा. शहजाद ने मात्र ग्यारह वर्ष की आयु से कविता लेखन आरंभ किया था। बाबा नानक के प्रति अटूट विश्वास रखते हैं। शहजाद की रचना के बोल हैं- “गुरुनानक देव को चाहता यह संसार है।”


गुरू नानक देव को चाहता ये संसार है,

एक ईश्वर वाद से जिन्हें प्यार है।

संत महात्मा गुरु कहलायें सिख धर्म के,

पहले गुरु का तो उन्हें ही अधिकार है।

वे कवि विचारक मानव के हित चिंतक महान,

अपने आप सिख धर्म ग्रंथ की ललकार हैं।

जन हित का जज्बा खुद में समाये थी भक्ती,

इन्सानियत में कुदरत की बनीं पुकार है।

लंगर, नगर कीर्तन से उनके प्रेम का दिखता सबूत,

भक्तों मानो नानक देव खुद सरकार है।

किसी से ना बैर नानक सब अपना संसार,

यह पावन गुरु नानक देव के उदगार है।

भजन- कीर्तन गुरु देव का प्यारा उपहार,

उपदेश संसार हित का बना अपरंपार है।।

‘शहजाद॔ भक्ति भरा सलाम अर्पण करदो,

आगमन नानक देव का लो जय-जयकार है।


गुरु नानक देव जी ने बताया कि सच्चा धर्म किसी पूजा-पद्धति या रीति-रिवाज में नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और सेवा में निहित है। उन्होंने मानव जीवन का सार इस बात में देखा कि हम एक-दूसरे के प्रति दया और सम्मान का भाव रखें। इस वर्ष 5 नवंबर को प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। उनके चार प्रमुख सिद्धांत

  • एक ओंकार अर्थात वाहेगुरू (ऊश्वर एक है)
  • नाम जपना- ईश्वर को हमेशा याद रखना
  • किरत करना - मेहनत की कमाई करना
  • वंड छकना - जो कमाया है उसे बांटकर ग्रहण करना

देखना तुम्हारे पास कोई भूखा न रह जाए। कोई कमजोर हो तो उसकी मदद करना। आज भी जीवन को सार्थक दिशा प्रदान करते हैं। उन्होंने जाति, धर्म और पंथ के भेदभाव मिटाकर सबको समान दृष्टि से देखने की प्रेरणा दी। उनके उपदेश आज भी जीवन का सच्चा मार्गदर्शन हैं।


गैलेक्सी को परिभाषित करते हुए जपुजी साहिब में बाबा नानक जी ने लिखा - "लख पाताला पाताल, लख आगासा आगास" ब्रह्मांड में लाखों की पालात और आकाश हैं, जिनका अंत छोर नहीं पाया जा सकता।


एक ओंकार — ईश्वर एक है

गुरु नानक देव जी का सबसे गूढ़ और अमर उपदेश था — “एक ओंकार सतनाम”। उन्होंने कहा कि ईश्वर एक ही है — निराकार, असीम और सर्वव्यापक। वह किसी बाहरी रूप में नहीं, बल्कि प्रत्येक हृदय में निवास करता है। उन्होंने समझाया कि जब मनुष्य यह जान लेता है कि हर प्राणी में वही एक परमात्मा बसता है, तो उसके भीतर का भेदभाव, घृणा और अहंकार स्वतः मिट जाते हैं। यही संदेश मानवता को एकता, प्रेम और समानता के पथ पर अग्रसर करता है — और यही गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का सार है।

(गुरु नानक पात्शाह की प्रमुख शिक्षाओं में एक - न किसी से डरना है और न किसी को डराना है)










Created On :   4 Nov 2025 6:32 PM IST

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