Baikuntha Chaturdashi 2025: जानिए कब है बैकुंठ एकादशी, क्या है इस दिन का महत्व और कैसे करें पूजा

जानिए कब है बैकुंठ एकादशी, क्या है इस दिन का महत्व और कैसे करें पूजा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति बैकुंठ चतुर्दशी को भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे जीवन के अंत समय में स्वर्ग की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु के बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।

साथ ही, इस दिन माता पार्वती को जौ के आटे की रोटी बनाकर मां भोग लगाया जाता है। इसके बाद इसी रोटी को प्रसाद के रूप में खाया जाता है। ऐसा करने से घर में घर में सुख संपदा आती है। इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 04 नवंबर यानी कि मंगलवार को है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि...

इस दिन का महत्व

ऐसा माना जाता है कि, भगवान विष्णु चातुर्मास तक सृष्टि का पूरा कार्यभार भगवान शिव को देकर विश्राम करते हैं। इसके बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं तो सभी देवी-देवता इसकी खुशी में देव दिवाली मनाते हैं। वहीं बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव फिर से भगवान विष्णु को सृष्टि का सारा कामकाज सौंपते हैं। इस दिन बैकुण्ठ लोक के द्वार खुले रहते हैं।

पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।

इसके बाद साफ कपड़े पहनें और घर के मंदिर की सफाई करें।

भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें।

मां पार्वती को जौ के आटे से बनी रोटी का भोग लगाएं।

रात में भगवान विष्णु की 108 कमल पुष्पों से पूजा करें।

इस मंत्र करें जाप

विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्।

वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   3 Nov 2025 11:39 PM IST

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