स्वास्थ्य/चिकित्सा: पेरासिटामोल का इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित नहीं रिसर्च

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। गर्भावस्था के दौरान दर्द और बुखार से राहत पाने के लिए पेरासिटामोल या एसिटामिनोफेन को लंबे समय से सुरक्षित और पहली पसंद माना जाता रहा है। दुनियाभर में 50 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं।
सिरदर्द, शरीर दर्द और बुखार जैसी आम समस्याओं में डॉक्टर भी अक्सर इसकी सलाह देते हैं।
हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने इस दवा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। एक नए अध्ययन का दावा है कि इससे शिशुओं में ऑटिज्म और एडीएचडी जैसे तंत्रिका-विकास संबंधी विकार (एनडीडी) हो सकते हैं।
मैसाचुसेट्स और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने 46 अध्ययनों का विश्लेषण किया, जिनमें 1 लाख से अधिक लोगों के डेटा शामिल थे। इनमें से 27 अध्ययनों ने एनडीडी से महत्वपूर्ण संबंध बताए।
हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की लेखिका एंड्रिया ए. बैकरेली ने कहा, "अधिकांश अध्ययनों में प्रसवपूर्व एसिटामिनोफेन के उपयोग और संतानों में एडीएचडी, एएसडी या एनडीडी के बीच सकारात्मक संबंध पाए गए हैं।"
शोधकर्ता ने कहा कि एसिटामिनोफेन प्लेसेंटल बैरियर को पार करने के लिए जाना जाता है और यह ऑक्सीडेटिव तनाव को ट्रिगर कर सकता है, हार्मोन को बाधित कर सकता है और एपीजेनेटिक परिवर्तन पैदा कर सकता है, जो भ्रूण के मस्तिष्क के विकास में बाधा डालते हैं, जो इन संबंधों की व्याख्या कर सकता है।
वहीं, एसिटामिनोफेन और तंत्रिका-विकास संबंधी विकारों के बीच संभावित संबंध की चर्चा की गई है।
2017 के एक अध्ययन ने 22 से 28 दिनों तक एसिटामिनोफेन का उपयोग करने वाली माताओं में एडीएचडी के उच्च जोखिम का संकेत दिया। फरवरी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन ने भी सुझाव दिया कि एसिटामिनोफेन के संपर्क में आने से एडीएचडी की संभावना बढ़ जाती है, हालांकि केवल लड़कियों में।
अध्ययन में कहा गया है कि एसिटामिनोफेन अन्य दवाओं की तुलना में अपनी अपेक्षाकृत अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल के कारण पसंदीदा दर्द निवारक बना हुआ है, फिर भी इसका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, विशेष रूप से प्रसवकालीन अवधि के दौरान भ्रूण के विकास पर इसके संभावित प्रभावों को देखते हुए।
प्रोफेसर बैकरेली ने यह भी सुझाव दिया कि गर्भवती महिलाओं को एसिटामिनोफेन के इस्तेमाल को सीमित करने की सलाह दी जानी चाहिए ताकि बच्चों के तंत्रिका-विकास की सुरक्षा की जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी जोर दिया कि इस विषय पर और अधिक गहन शोध किए जाने की आवश्यकता है ताकि स्पष्ट रूप से समझा जा सके कि यह दवा किस हद तक बच्चों के मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
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Created On :   16 Aug 2025 8:01 PM IST