परिवर्तन: दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा बदलेगी प्रदेश अध्यक्ष

Changes: BJP will change state president after a crushing defeat in Delhi assembly elections
परिवर्तन: दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा बदलेगी प्रदेश अध्यक्ष
परिवर्तन: दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा बदलेगी प्रदेश अध्यक्ष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा प्रदेश संगठन में बड़ा फेरदबल करने की तैयारी में है। भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं संगठन के अन्य पदाधिकारियों को हटाने की भी तैयारी में है। चुनाव नतीजे आने के बाद मंगलवार को अपने आवास पर प्रेस कान्फ्रेंस कर मनोज तिवारी ने भी हार की जिम्मेदारी ले ली है।

हालांकि उन्होंने अपने अगले कदम के बारे में कुछ नहीं बताया है, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि वह अगले कुछ दिनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं, जिसके बाद पार्टी दिल्ली में संगठन चुनाव कराकर नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी।

नए चेहरे को मिलेगी कमान
भाजपा की केंद्रीय टीम से जुड़े एक नेता ने बताया कि मनोज तिवारी का वैसे भी तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुका है। उन्हें पार्टी ने नवंबर 2016 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, कायदे से तो अब तक नया प्रदेश अध्यक्ष बन जाना चाहिए था, मगर दिल्ली चुनाव के कारण राज्य में संगठन चुनाव स्थगित रहा। अब चुनाव के बाद राज्य के संगठन चुनाव में किसी नए चेहरे को कमान मिलेगी।

2016 में मनोज तिवारी को बनाया था दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष
सपा के टिकट पर कभी गोरखपुर में योगी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके मनोज तिवारी ने वर्ष 2013 में भगवा कैंप का रुख किया तो कम समय में सबसे ज्यादा सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में सफल रहे। तीन साल में ही उन्हें वो सब कुछ मिल गया, जिसकी हर नेता को तलाश होती है। पहले 2014 में पार्टी ने उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का टिकट दिया तो मोदी लहर में सांसद बने और फिर 2016 में ही पूर्वांचलियों का वोट बैंक साधने के चक्कर में पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पूरा राज्य संगठन हवाले कर दिया।

पार्टी में महज तीन साल पुराने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के निर्णय से दिल्ली के कई स्थानीय नेता खफा भी रहे। यही वजह रही कि दिल्ली यूनिट में रह-रहकर यह नाराजगी सार्वजनिक भी हुई। कभी मनोज तिवारी और विजय गोयल में तकरार की खबरें आईं और कभी रमेश विधूड़ी और अन्य नेताओं से। मनोज तिवारी चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में हालांकि यह बात खारिज कर चुके हैं कि दिल्ली यूनिट में किसी तरह का अंतर्कलह है। उन्होंने कहा था कि हर नेता महत्वाकांक्षी होता है, छोटी-मोटी बातें चलती रहती हैं।

केजरीवाल को टक्कर देने वाले नेता की तलाश
भाजपा सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी के कार्यकाल में एमसीडी और लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जरूर शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की, मगर उसमें उनके चेहरे का कोई विशेष योगदान नहीं रहा। भाजपा एक नेता के मुताबिक लोकसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर जनता ने वोट दिया और एमसीडी तो भाजपा का हमेशा से गढ़ रहा है। भाजपा नेता के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष की काबिलियत का पैमाना सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से आंका जाता है। मगर 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से पार्टी दहाई का अंक भी छू नहीं सकी, उससे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि अब प्रदेश नेतृत्व की कमान किसी ऐसे चेहरे को देने का समय आ गया है जो केजरीवाल को टक्कर देने की क्षमता रखता हो।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल्ली में चाल, ढाल और रणनीति बनाने में माहिर और बौद्धिक रूप से मजबूत एक नेता तैयार करना शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनौती है। अगर भाजपा दिल्ली में केजरीवाल के कद का कोई नेता नहीं खड़ा कर पाई तो फिर पांच साल बाद भी यही हश्र होगा।

Created On :   11 Feb 2020 6:40 PM GMT

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