बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पिछले दो दशक में केवल जेडीयू के ही दो चेहरे बने सीएम

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में 14 नवंबर को नतीजे आने के साथ यह तय हो जाएगा कि किसकी सरकार बनेगी, बिहार की सियासी गद्दी पर कौन बैठेगा। 2005 से लेकर 2025 तक पिछले पांच विधानसभा चुनावों यानी दो दशक में बिहार ने दो मुख्यमंत्रियों को देखा है।
2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक नया राज्य बना। विभाजन के बाद फरवरी 2005 में बिहार में पहली बार चुनाव हुए। इस चुनाव में कुल 5,26,87,663 वोटर्स मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए पात्र थे। 46.5 फीसदी वोट परसेंट रहा। चुनावी नतीजों में किसी भी दल गठबंधन को बहुमत नहीं मिला।
चुनाव से पहले तक सत्ता में रही आरजेडी को 25.1 फीसदी वोट मिले। उसे 75 सीटों से संतोष करना पड़ा। जो बहुमत के 122 के आंकड़े से बहुत दूर था। नीतीश कुमार की जेडीयू को 14.6 फीसदी वोट के साथ 55 सीटें मिलीं। बीजेपी को 11फीसदी वोट परसेंट पर 37 और कांग्रेस को 5 फीसदी वोट के साथ 10 सीट मिली थी। राम विलास पासवान की एलजेपी को 12.6 फीसदी वोट के साथ 29 सीटों पर जीत मिली।
एनडीए (जेडीयू+ बीजेपी ) सबसे बड़ा गठबंधन था लेकिन उसे भी बहुमत से कम सीटें मिलीं। रामविलास पासवान की एलजेपी किंगमेकर बन गई यानी उसके समर्थन से ही सरकार बन सकती थी। कई हफ्ते तक जोड़ तोड़ की कोशिश होती रही, लेकिन कोई दल या गठबंधन बहुमत के आंकड़े को नहीं जुटा सका। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा और फिर अक्टूबर 2005 में एक बार फिर चुनाव हुए।
अक्टूबर 2005 में फिर से बिहार में चुनाव हुए। इसमें कुल 5,13,85,891 मतदाता वोट देने के लिए पात्र थे। इसमें से 45.8 फीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। चुनाव नतीजों में एनडीए को बहुमत मिला। सबसे अधिक 88 सीटें जीतकर नीतीश की जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। जेडीयू को 20.46 प्रतिशत वोट मिले थे। बीजेपी को 15.65 प्रतिशत वोट को साथ 55 सीटों पर जीत मिली। आरजेडी को 54 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली थी। आरजेडी भले ही तीसरे नंबर पर रही लेकिन उनका वोट शेयर सभी दलों में सबसे ज्यादा 23.45 फीसदी था। एलजेपी को कांग्रेस से एक ज्यादा यानी 10 सीटें मिली थी। बाकी सीटें अन्य के खाते में गई थीं। 143 सीटों के साथ एनडीए ने जेडीयू के नीतीश के नेतृत्व में सरकार बनाई।
2010 के विधानसभा चुनाव में 206 सीटों पर जीत के साथ एक बार फिर एनडीए को जीत मिली। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने। जेडीयूसबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इस चुनाव में कुल 5,51,20,656 मतदाता थे। इमने से 52.67 प्रतिशत ने वोट दिया। चुनाव नतीजे आए तो जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़कर 115 (22.58%) सीटों पर विजय मिली, वहीं बीजेपी को 16.49 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कुल 102 में से 91 सीटों पर विजय मिली। आरजेडी और एलजेपी साथ थे। इसमें आरजेडी को 22 सीटों पर और एलजेपी को केवल तीन सीटों पर जीत मिली। आरजेडी को 18.84 और एलजेपी को 6.74 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा।
चार साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजह से नीतीश ने सीएम पद त्याग कर जीतन राम मांझी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बनाया । मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश और मांझी के रिश्ते बिगड़ने लगे। अंतत: फरवरी 2015 में मांझी को हटाकर नीतीश फिर से सीएम बन गए।
2015 के चुनाव में दो दशक के बाद नीतीश कुमार और लालू यादव साथ चुनाव लड़े। जेडीय -आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाया। इस चुनाव में वोट डालने के लिए पात्र 6,70,56,820 मतदाताओं में से 56.66 फीसदी ने मतदान किया। नतीजे आए तो महागठबंधन को बड़ी जीत मिली। आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सीएम नीतीश कुमार ही बनाए गए। आरजेडी को 18.35 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 80 सीटों पर जीत मिली। वहीं, उसकी साथी जेडीयू को 16.83 फिसदी वोट के साथ 71 सीटों पर जीत मिली। महागठबंधन की एक और साथी कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं। इस तरह ये महागठबंधन 178 सीटें जीतने में सफल रहा। एनडीए की बात करें तो बीजेपी को 53 सीटें 24.42 फीसदी वोट मिले। एनडीए में शामिल एलजेपी को दो, रालोसपा को दो और हम को केवल एक सीट मिली। इस तरह एनडीए केवल 58 सीटों पर सिमट गई । 2017 में महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का दामन फिर से थाम लिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ सरकार बनाई और सीएम बनें।
2020 के विधानसभा चुनाव में कुल 7,06,01,372 मतदाताओं में से 58.7 प्रतिशत ने वोट डाला। नतीजों में आरजेडी को 23.11 फीसदी वोट मिले। 75 सीटों के साथ आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। वहीं, दूसरे नंबर पर बीजेपी को 19.46 वोट प्रतिशत के साथ 74 सीटें मिलीं थी। जेडीयू को 43 सीटों के साथ 15.39 वोट शेयर पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस को 9.48 वोट प्रतिशत के साथ 19 सीटें मिली। महागबंधन में शामिल वाम दलों, कांग्रेस और आरजेडी को मिलाकर 110 सीटें मिलीं। जो बहुमत से कम थीं। 125 सीटें जीतकर एनडीए की एक बार फिर सरकार बनाई। बीजेपी से कम सीटें जीतने के बाद भी नीतीश कुमार ही सीएम बने।
2022 में नीतीश ने एक बार फिर पाला बदला और महगठबंधन के साथ आ गए। महागठबंधन के साथ मुख्यमंत्री बनें। ये ज्यादा दिन नहीं चला। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जनवरी 2024 में फिर नीतीश ने पाला बदला और एनडीए में वापसी कर ली। और फिर सीएम पद की शपथ ली।
Created On :   10 Nov 2025 3:25 PM IST












