हिंसाओं से निजात: भारत सरकार, असम सरकार और असम के उग्रवादी संगठन ULFA के बीच हुआ त्रिपक्षीय शांति समझौता
- असम के 85 फीसदी इलाके से अफस्पा हटा
- उल्फा के 700 सदस्यों ने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ा
- रोजगार के संसाधान और अवसर मुहैया कराए जाएंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई दिल्ली में आज शुक्रवार 29 दिसंबर को असम की शांति के लिए संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और केंद्र सरकार के बीच समझौता हुआ। असम के 85 फीसदी इलाके से अफस्पा हटाया गया है।
ULFA के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए। भारत सरकार, असम सरकार और ULFA के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते को असम की शांति के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिपक्षीय समझौते को लेकर कहा कि लंबे समय तक असम और पूरे उत्तर-पूर्व ने हिंसा झेली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ही उग्रवाद, हिंसा और विवाद मुक्त उत्तर-पूर्व भारत की कल्पना लेकर गृह मंत्रालय चलता रहा है। भारत सरकार, असम सरकार और ULFA के बीच जो समझौता हुआ है, इससे असम के सभी हथियारी गुटों की बात को यहीं समाप्त करने में हमें सफलता मिल गई है। ये असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
इस समझौते को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने मीडिया से कहा, "आज असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में असम की शांति प्रक्रिया निरंतर जारी है।
आपको बता दें करीब 4 दशक से असम के संगठन उल्फा को सशस्त्र उग्रवादी संगठन के तौर पर देखा जाता रहा है। उत्तर पूर्व में सशस्त्र सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसाओं के लिए असम में उल्फा को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। शांति के कदम को देखते हुए असम सरकार, उग्रवादी संगठन उल्फा और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। आज जिस उल्फा गुट के साथ समझौता हुआ है वो अनूप चेतिया गुट का संगठन है। इस संगठन ने करीब 12 साल से यानि 2011 से हथियार नहीं उठाए है।
दिल्ली में हुए इस त्रिपक्षीय शांति समझौते की मीटिंग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा, गृह सचिव अजय भल्ला, असम के डीजीपी जीपी सिंह सहित उल्फा समूह के मेंबर मौजूद रहे। यहीं आपको ये भी बता दें कि इस समझौते में परेश बरुआ की लीड़रशीप वाला उल्फा का कट्टरपंथी गुट शामिल नहीं है, क्योंकि उसने समझौते के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इस समझौते से असम के लोगों के लिए रोजगार के संसाधन और अवसर दोनों ही मुहैया कराए जाएंगे। साथ ही सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखने के लिए आज उल्फा के जिन 700 सदस्यों ने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ा है, उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए केंद्र सरकार हर संभव कदम उठाएंगी।
Created On :   29 Dec 2023 6:35 PM IST