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धारणी पंस के सहायक कार्यक्रम अधिकारी सहित 12 कर्मियों पर गिरी बर्खास्तगी की गाज

डिजिटल डेस्क, धारणी अमरावती। वर्ष 2017-18 में पंचायत समिति चिखलदरा व धारणी अंतर्गत ग्रामपंचायतों के विभिन्न गांवों में मनरेगा योजना के तहत करोड़ों रुपए के पगडंडी मार्गों के निर्माणकार्य पूर्ण होने की बात कागजों पर दिखाकर उसके फर्जी बिल निकालने के प्रयास में ठेकेदार, ग्रामसचिव, तकनीकी सहायक, सहायक कार्यक्रम अधिकारी समेत तत्कालीन गट विकास अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। मामले की जांच हुई। इसके बाद मिली रिपोर्ट के आधार पर जिप के सीईओ अविश्यांत पंडा ने धारणी व चिखलदरा पंचायत समिति के 13 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए। यह आदेश धारणी व चिखलदरा पंस कार्यालय पहुंचते ही हडकंप मच गया है।
बता दें कि मामले को लेकर मेलघाट के पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर, बडनेरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक रवि राणा, शिवसेना तहसील प्रमुख शैलेश मालवीय, भाजपा तहसील अध्यक्ष आप्पा पाटील, दीपक मालवीय आदि ने मनरेगा के आयुक्त तथा विभागीय आयुक्त समेत वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की थी। जिसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विविध जांच समिति का गठन किया गया था। इस समिति द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट के मुताबिक पगडंडी मार्गोंं के निर्माणकार्य में भारी मात्रा में अनियमितता होने की बात प्रकाश में आई। रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जिप के सीईओ अविश्यांत पंडा ने गुरुवार 23 जून को धारणी व चिखलदरा पंचायत समिति के 13 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए। यह आदेश प्राप्त होने के बाद मेलघाट पंचायत समिति में हडकंप मच गया है।
यह 13 लोग हुए सेवा से बर्खास्त : जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा के आदेशानुसार धारणी के मनरेगा के सहायक कार्यक्रम अधिकारी दीपक कांबले व तकनीकी सहायक अनिल मालवीय, मो. जाहीद मो. वाहीद, कुंदन बनसोड, नारायण सावलकर, तुलसीराम कास्देकर, पुरुषोत्तम खराबे, राजाराम भिलावेकर, अमोल भोंडे, दयाराम जांबेकर, किशोर दहेंंडे, अनिल बिलवे, विजय ढगे को बर्खास्त किया गया है।
पंस के कुछ अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज : मनरेगा योजना के तहत मेलघाट में पगडंडी मार्गों के काम को केवल कागजो पर दिखाकर करोड़ों रुपए के फर्जी बिल निकालने के प्रयास में मेलघाट के विविध राजनीतिक दलों के पदाधिकारी समेत पूर्व गटविकास अधिकारी, विस्तार अधिकारी, ग्रामपंचायत के ग्रामसचिव व तकनीकी अधिकारी व सहायक कार्यक्रम अधिकारी आदि की मिलीभगत बताई जाती है। लेकिन इस अनियमितता में केवल ठेका पद्धति से लगाए गए तकनीकी अधिकारियों पर ही कार्रवाई हुई है। अन्य वरिष्ठ अधिकारी अभी भी इस कार्रवाई से बचते नजर आ रहे हैं। लेकिन मनरेगा योजना में हुए भ्रष्टाचार मेंं इन बड़े अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पूरे मामले में फौजदारी मामला दर्ज कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की जाने लगी है।
Created On :   24 Jun 2022 2:48 PM IST