आदिवासियों के बजट का 30 हजार करोड़ खर्च ही नहीं किया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। दलित-आदिवासियों को साधने के लिए कागजों पर कई बेहतरीन घोषणाएं करने वाली राज्य सरकारें जमीनी स्तर पर फिसड्डी साबित हुई हैं। फिर वह कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की महाविकास आघाड़ी की सरकार रही हो या भाजपा-शिवसेना (उद्धव) और भाजपा-शिवसेना (शिंदे) सरकार। सभी सरकारों के अमृतकाल में दलित-आदिवासी हाशिये पर रहे। इसका पर्दाफाश खुद सरकार द्वारा बजट में दिए गए आंकड़े कर रहे हैं। पिछले 10 सालों में अनुसूचित जाति-जनजाति घटक योजना के कुल 30 हजार करोड़ रुपए की निधि खर्च नहीं हो पाई है। यह निधि लैप्स हो गई है या फिर दूसरे विभागों में हस्तांतरित कर दी गई है।
धूल फांक रहीं योजनाएं : दो ताजे उदाहरण हैं। वर्ष 2022-23 में अनुसूचित जाति घटक कार्यक्रम अंतर्गत क्षेत्र अनुसार प्रस्तावित निधि 12 हजार 230 करोड़ थी। इसमें से सिर्फ 4 हजार 581.1 करोड़ खर्च हो पाए। अनुसूचित जनजाति घटक कार्यक्रम अंतर्गत 12 हजार 562.89 करोड़ रुपए में से 5 हजार 828.19 रुपए खर्च किए गए। यानी 2022-23 में दोनों घटक योजना के करीब 14383.6 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर पाए। इसी तरह से पिछले 10 साल में कुल 30 हजार करोड़ रुपए की निधि अनुसूचित जाति-जनजाति घटक योजना की खर्च नहीं हो पाई है। निश्चित योजनाओं पर राशि खर्च नहीं होने से कई योजनाएं फाइलों में धूल फांक रही हैं, जिसका फायदा लाभार्थियों को नहीं मिल पाया है।
नीतियों के विरोध में काम : महाराष्ट्र राज्य ने वर्ष 1981 में नियोजन आयोग की नीति लागू की थी। अनुसूचित जाति के लिए विशेष घटक योजना, अनुसूचित जाति उपयोजना और आदिवासियों के लिए आदिवासी उपयोजना शुरू की, लेकिन प्रगतिशील कहे जाने वाली महाराष्ट्र सरकार ने कभी भी जनसंख्या के अनुसार निधि का प्रावधान या खर्च नहीं किया। फलत: पिछले 10 वर्ष में 30 हजार करोड़ रुपए का बैकलॉग तैयार हो गया है। यह सभी राजनीतिक पार्टियों के कार्यकाल का हिसाब है। हालांकि खर्च नहीं होने वाली निधि को आगे कैरी-फॉरवर्ड किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सरकार ने खुद की नीतियों के विरोध में काम किया और एससी-एसटी को विकास से वंचित रखा। ओबीसी, भटके विमुक्त, अल्पसंख्यक मामलों में भी इसी तरह की स्थिति है।
अलग कानून बनाने की जरूरत : तेलंगाना, कर्नाटक व राजस्थान की तरह महाराष्ट्र सरकार भी अनुसूचित जाति-जनजाति विकास निधि के लिए अलग कानून बनाए। सरकार प्रत्येक वर्ष की अखर्चित निधि अगले साल कैरी-फॉरवर्ड करे। इससे अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को न्याय मिलेगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर अगल कानून बनाने की मांग की है।
-डॉ. नितीन राऊत, विधायक व पूर्व मंत्री
Created On :   3 April 2023 12:41 PM IST