बच्चे भी बन रहे अब एचआईवी के शिकार ,एक साल में सामने आए आधा दर्जन पीड़ित

Children are now becoming victims of hiv, dozen victims appeared in year
बच्चे भी बन रहे अब एचआईवी के शिकार ,एक साल में सामने आए आधा दर्जन पीड़ित
बच्चे भी बन रहे अब एचआईवी के शिकार ,एक साल में सामने आए आधा दर्जन पीड़ित

डिजिटल डेस्क,सतना। जिले में एड्स रोगियों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ती जा रही है। महिला-पुरुषों के साथ-साथ अब तो एचआईवी पीडि़त मासूम बच्चे भी सामने आने लगे हैं। अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक की बात करें तो सामने आए कुल 42 एचआईवी पीड़ितों में 10 साल से कम उम्र के 6 बच्चे भी शामिल हैं। इन मासूमों को तो अभी तक यह भी नहीं मालूम है कि किस प्रकार की लाइलाज बीमारी का शिकार हो गए हैं । उधर चौकाने आले आंकड़े सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की धड़कनें बढ़ गई हैं। गनीमत यह है कि बच्चों के माता-पिता समय रहते इनको लेकर जिला अस्पताल के जगदीश भवन में संचालित इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग (आईसीटीसी) सेंटर पहुंच गए, नहीं तो इनकी जिन्दगी कितने दिनों की होती कुछ कहा नहीं जा सकता। बहरहाल सभी बच्चों का एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर रीवा में इलाज चल रहा है। एआटरी में इलाज के बाद पीड़ितों की लाइफ बढ़ जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि बच्चों को जानलेवा बीमारी उनके माता-पिता की गलतियों के चलते हो रही है।     

18 साल में 1 लाख से अधिक लोगों की जांच
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक आईसीटीसी सेंटर में महिला-पुरुषों को मिलाकर कुल 18 हजार लोग एचआईवी की जांच कराने पहुंचे निनमें 27 महिलाएं और 15 पुरुषों की रिपोर्ट पॉजीटिव आई। इसके साथ पिछले 18 सालों की बात करें तो एकीकृत जांच एवं परामर्श केन्द्र में 1 लाख 8 हजार के करीब महिला-पुरुषों ने एचआईवी एड्स की जांच कराई है। इनमें से महिला पुरुषों को मिलाकर तकरीबन 452 एड्स पीडि़त सामने आए हैं। पीडि़तों में 2 दर्जन से अधिक गर्भवतियां भी हैं। सूत्रों की माने तो जिले में पिछले 15 सालों के अंतराल में लगभग 15 लोगों की एड्स की वजह से जान भी जा चुकी है। जिला अस्पताल में चल रहे एकीकृत जांच एवं परामर्श केन्द्र में महिला-पुरुषों को मिलाकर रोजाना तकरीबन 50 से 60 जांच की जा ही हैं। ज्ञात हो कि एचआईवी की जांच के लिए जिले में 2 सेंटर जिला अस्पताल और मैहर में संचालित हैं। 

गर्भवतियां भी अछूती नहीं
जिले में पुरुष एवं सामान्य महिलाओं के साथ गर्भवतियां भी एचआईवी पॉजीटिव मिल रही हैं। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में भर्ती होने वाली सभी गर्भवतियों का एड्स टेस्ट होना अनिवार्य किया गया है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में 1 गर्भवती, 2011 में 1, 2012 में 1, 2013 में 3, 2014 में 2, 2016 में 3, 2017 में  5 के अलावा 2018 में 3 के साथ वर्ष 2019 में 7 गर्भवतियां एड्स पीड़ित गर्भवती सामने आई हैं। 

प्रचार-प्रसार कागजों पर
एचआईवी रोगियों की बढ़ती संख्या ने जिले में प्रचार-प्रसार अभियान की पोल खोलकर रख दी है। प्रदेश सरकार द्वारा जागरूकता फैलाने के लिए सालाना लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। लेकिन यहां जागरूकता कार्यक्रम और दीवार लेखन तो शहरी क्षेत्र में कहीं-कहीं ही देखने को मिलते हैं। जानकार बताते हैं कि प्रचार-प्रसार ही एक मात्र साधन है जिससे एड्स को नियंत्रित किया जा सकता है।  

आंकड़े एक नजर में (2018-19)

  • कुल जांच कराने वालों की संख्या-18000
  • कुल एचआईवी पीडि़तों की संख्या- 42
  • महिलाओं की संख्या- 27
  • पुरुषों की संख्या -15
  • 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे-6

 

Created On :   12 April 2019 8:13 AM GMT

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