कार्यकाल पूरा होने के बावजूद डटे हैं पुलिस अधिकारी-कर्मचारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पुलिस के विशेष दस्ते का मतलब जवाबदेह काम और पूरी पारदर्शिता मानी जाती है, लेकिन शहर पुलिस की व्यवस्था इस मामले में मजाक उड़ाती दिख रही है। खासकर तब जब पुलिस आयुक्त के आदेश की भी अनदेखी कर दी जाए, तो मामला गंभीर हो जाता है। हम बात कर रहे हैं शहर के थानों में बीट मार्शल, डयूटी राइटर, चार्ली व डीबी स्क्वॉड की। इनके प्रमुख के पदों पर कई पुलिस अधिकारी कर्मचारी कार्यरत हैं। दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद भी सभी उसी जगह पर डटे हुए हैं।
दो साल के बाद भी ‘अंगद पांव’ : इस ‘अव्यवस्था’ के दो घाटे हैं। पहला यह कि संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उस क्षेत्र का अघोषित ‘दादा’ बन जाता है और दूसरा यह कि कई योग्य कर्मचारी-अधिकारी की दक्षता हाशिये पर चली जाती है। इसी कारण पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने निर्देश दिए थे कि इन पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का कार्यकाल दो साल का रहेगा।
150 से अधिकारी- कर्मचारी कार्यरत : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर के 5 पुलिस परिमंडलों के अंतर्गत 33 थाने और एक साइबर पुलिस थाना संचालित हो रहा है। हर थाने में बीट मार्शल, डयूटी राइटर, चार्ली, डीबी स्क्वॉड प्रमुख के पद पर 150 से अधिकारी- कर्मचारी कार्यरत हैं। अब इनका रिकार्ड पुलिस आयुक्तालय ने मंगवाया है। मिली जानकारी के अनुसार, जिनका परफार्मेंस संतोषजनक नहीं है, उन्हें पुलिस मुख्यालय भेज दिया जाएगा। कुछ समय पहले पुलिस आयुक्त ने नाकारा कर्मचारियों की सूची मंगवाई थी, इस सूची के मंगवाए जाने के बारे में पता चलने पर सभी कर्मचारियों में बेहतर परफार्मेंस देने की होड़ सी लग गई थी। यह मामला ठंडे बस्ते में चले जाने पर स्थिति ढाक के तीन पात वाली बनकर रह गई है।
उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं : सूत्रों के अनुसार, शहर के पुलिस परिमंडल 5 को छोड़कर बाकी 4 परिमंडल में पुलिस उपायुक्त के विशेष स्क्वॉड बने हैं, जिसमें करीब 50 कर्मचारी हैं। इस स्क्वॉड की कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नजर नहीं आती है। कुछ कर्मचारियों का सवाल है कि जब उपायुक्त का विशेष स्क्वाड कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं करता है, तो उसे थाने के दूसरे कार्य में लगाया जा सकता है।
तब सवाल यह : जब उपायुक्त के इस विशेष दस्ते की कोई सराहनीय कार्रवाई नहीं, ताे विशेष स्क्वॉड क्यों? एक तरफ पुलिस विभाग हमेशा स्टाफ की कमी का रोना रोते रहता है, जबकि इस तरह कई विशेष दस्ते बनाकर रखे गए हैं, जिनकी कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नजर नहीं आती है। एेसे दस्ते के कर्मचारियों का उपयोग आरोपियों की खोजबीन व अन्य मामले को सुलझाने में किया जा सकता है। उपायुक्त के इन विशेष दस्ते को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
Created On :   13 April 2023 12:13 PM IST