खतरे में अधिवास, इसलिए शहर में आ जाते हैं वन्यजीव

Domicile in danger, so wildlife comes to the city: Rithe
खतरे में अधिवास, इसलिए शहर में आ जाते हैं वन्यजीव
किशोर रिठे ने कहा खतरे में अधिवास, इसलिए शहर में आ जाते हैं वन्यजीव

डिजिटल डेस्क,अमरावती। जो जंगल घने थे, वह पतले होते जा रहे हैं अर्थात वहां हरियाली का घनत्व कम होता जा रहा है और जहां जंगल पतले थे वहां से जंगल खत्म होते जा रहे हैं। यही वजह है कि, वन्यजीवों के सामने अधिवास का खतरा गहराता जा रहा है। इसलिए शहर में तेंदुआ आ जाता है। क्योंकि यह वन्यजीव झुड़पी जंगल जैसे क्षेत्र में रहता है और हमारी संस्थाएं वहां निर्माण की अनुमति दे रही है। यह बात बॉॅम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के नवनियुक्त मानद सचिव किशोर रिठे ने कही।  दैनिक भास्कर कार्यालय में सदिच्छा भेंट के दौरान बोल रहे थे।

उन्होंने बताया कि, प्रत्येक वन्यजीव अपने अनुकूल वातावरण में रहना पसंद करता है। ऐसे में यदि उनके अनुकूल वातावरण के क्षेत्र में धीरे-धीरे कब्जा होने लगेगा तो वह शहर में आने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अमरावती और अकोला ही नहीं नागपुर के अलावा बहुत सारे ऐसे शहर हैं जहां वन्यजीव पहुंचने पर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इसके लिए सभी एजेंसियों को मिलकर योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए, जिसके बाद ऐसी घटना में कमी आ सकती है। बीएनएचएस का गठन 1883 में हुआ था। उस समय 6 ब्रिटिश और 2 भारतीयों ने वन्यजीवों के आपस के अनुभव को सांझा करने के लिए बनाया था। 1960 में भारतरत्न डॉ. सालीमली इस साेसायटी में थे। वर्तमान में बीएनएचएस में 225 सदस्य हैं। यह संस्थान वन्यजीवों विशेषकर पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन करती है। इसके साथ ही वह पंक्षियों में टैगिंग कर उनकी लोकेशन को भी ट्रैस करती है।
 

Created On :   4 July 2022 11:12 AM IST

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