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ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट में साबित हुआ घोटाला, पांचों आरोपी दोषी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। निवेश के नाम पर 500 करोड़ से अधिक के घोटाले का खुलासा दैनिक भास्कर ने किया था। भास्कर की इन्हीं प्रमाणित खबरों पर ईओडब्ल्यू ( इकोनॉमिक अफेंस विंग) की जांच रिपोर्ट ने मुहर लगा दी है। विभाग ने जांच कर इसकी चार्जशीट पेश की। जिसमें घोटाले की पुष्टि हुई। जिन 40 लोगों ने पहल कर इसकी शिकायत की थी वह पूरी तरह सही पाई गई। और इसके लिए जिम्मेदार पांच कंपनियों और उनके डायरेक्टर दोषी पाए गए ।
खास बात यह है इस मामले से जुड़े 450 से अधिक लोगों में से मात्र अभी 40 ही सामने आए हैं और 8 करोड़ के फर्जीवाड़े की शिकायत की थी, जिसका भुगतान उन्होंने संबंधित कंपनियों में चेक के माध्यम से किया था। जबकि अभी 875 करोड़ के हिसाब-किताब में से 867 करोड़ का बेनामी हिसाब का खुलासा होना अभी बाकी है। इस घोटाले की गंभीरता इस बात से लगाई जा सकती है कि पांच माह जांच के बाद ईडी ने कुछ दिन पहले ही अपनी प्राथमिकी दर्ज की है। जिसमें कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।
निवेश के नाम पर काली कमाई को सफेद करने के खेल में कई रसूखदार और सफेदपोश सालों से इस खेल का हिस्सा थे। इससे जुड़ी फिलहाल पांच कंपनियां सामने आई हैं। इसमें मेहाडिया सेल्स ट्रेड कारर्पोरेशन, मेहाड़िया सेल्स ट्रेड कारर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, नंदलाल डी मेहाड़िया, लोकेश मेटेलिक्स, सद्गुरु इंटरप्राइजेज, नंद सन्स लॉजिस्टिक लिमिटेड हैं। इनके संचालक पंकज मेहाड़िया, लोकेश जैन, कार्तिक जैन, बालमुकुंद केयाल व प्रेमलता मेहाड़िया हैं।
2004 से संबंधित कंपनियों और उनके डायरेक्टर उनकी कंपनियों में निवेश के नाम पर 24 प्रतिशत रिटर्न देने का काम कर रहे थे। हालांकि यह रिटर्न बाजार से अधिक से अधिक पैसा जमा करने की साजिश थी, जिसमें वह सफल भी हुए। इन्हीं कंपनियों की आड़ में बड़े-बड़े रसूखदार अपना काल धन एंट्रियां घुमाकर सफेद करते थे और वे इसमें माहिर भी थे। 2017 के बाद बाजार से लिया पैसा लौटाने के लिए हाथ खड़े कर दिए, उस समय उनकी बैलेंसशीट पर 875 करोड़ का हिसाब था। जिसमें 450 से अधिक लोगों की नामजद पैसों के साथ इसमें एंट्री है।
ऐसे उजागर हुआ था घोटाला
इस घोटाले की पहली रिपोर्ट 2 नवंबर 2021 में पुलिस में हुई थी। एमपीआईडी (महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंवेस्टमेंट) के तहत मामला दर्ज किया था। इसमें मुख्य शिकायतकर्ता पेशे से सीए अशोक अग्रवाल और 39 अन्य लोग थे। जिसमें अधिकांश उनके रिश्तेदार और परिचित हैं। सभी की राशी 8 करोड़ की है जो निवेश के नाम पर ली और 2017 के बाद लौटाई नहीं।
पुलिस ने धारा 420,406,409, 120-बी, और महाराष्ट्र में निवेश सुरक्षा अधिनियम 1999 की धारा 3 लगाई गई थी। हालांकि यह मामला दर्ज होने के बाद एक और शिकायकर्ता इंद्रकुमार अग्रवाल सामने आए उनका कहना था कि उन्हें 24 करोड़ चाहिए मगर 12 करोड़ की शिकायत देकर वापस ले ली।
रिकॉर्ड की जांच में खुले कई राज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू की जांच में जो शुरुआती रिकॉर्ड की छान-बीन की गई तो कई चौंकाने वाले खुलासे मिले। इसमें अधिकांश एंट्री फर्जी पाई गईं, जिनके आगे-पीछे का कोई हिसाब नहीं है। पंकज मेहाड़िया पूछ-ताछ में इन एंट्रियों की सच्चाई बचाने से बचते रहे। चूकी जांच का दायरा मात्र 40 लोगों और उनके चेक से किए गए 8 करोड़ के भुगातान का था तो उसने इसे स्वीकार कर लिया।
हालांकि पांचों कंपनियों के गोरखधंधे पर बोलने से बचते रहे। स्टॉफ व अन्य लोग भी खाते-बही में का हिसाब और नाम बताने से डरते रहें। उन्होंने कहा जैसा मालिक कहते थे वह वैसा लिखते थे।
पुलिस ने सीमित रखी जांच
पुलिस सूत्रों से अनुसार संबंधित मामले की जांच पुलिस ने अपनी लक्ष्मण रेखा के अंदर ही की। वह 500 करोड़ से अधिक के घोटाले के दूसरे पहलुओं पर नहींं गई, क्योंकि शिकायतकर्ता ने केवल अपने चेक से दिए भुगतान की ही शिकायत की थी। अन्य शिकायतकर्ता सामने नहीं आए, जिनमें कुछ नामों पर 10 से लेकर 50 करोड़ की भी एंट्री हैं।
इसमें कुछ बड़े नेता और उनके रिश्तेदार भी हैं। कुछ आयरन से संबंध रखने वाली बड़ी कंपनियां भी हैं। इसमें कई सीए, सीएस, और इन्वेस्टमेंट की सलाह देने वाले कर सलाहकार भी हैं। जो शहर में खासा नाम रखते हैं। इसमें जुआ सट्टे के किंग, डिब्बा कारोबार से संबंध रखने वाले नाम भी शामिल हैं।
चार्जशीट फाइल कर दी, शिकायत सही पाई गई
निवेश के नाम पर पैसे लेकर हड़पने की शिकायत हमारे पास आई थी। जिसमें पंकज मेहाडिया, लोकेश जैन, कार्तिक जैन, बालमुकुंद केयाल व प्रेमलता मेहाड़िया आरोपी थे। हमारी जांच में शिकायत सही पाई गई और आरोपियों के द्वारा की गई धोखाधड़ी साबित हुई। हमने जांच पूरी कर चार्जशीट दायर कर दी है।
Created On :   1 May 2022 7:55 PM IST