भीड़ कम करने की बजाय बढ़ाने का हो रहा काम , लंबी लाइन

Instead of reducing congestion, the work of increasing
भीड़ कम करने की बजाय बढ़ाने का हो रहा काम , लंबी लाइन
भीड़ कम करने की बजाय बढ़ाने का हो रहा काम , लंबी लाइन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। समूह में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता है। भीड़ कम करने का दावा करनेवाले शासन व प्रशासन की पोल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित हो रहे सरकारी अनाज की प्रक्रिया ने खोलकर रख दी है। भीड़ कम करने के लिए सरकार ने पहले तीन महीने का राशन देने का दावा किया, जो गलत साबित हुआ। एक महीने के राशन के साथ मुफ्त में 5 किलो अतिरिक्त चावल देने का दावा भी धरा का धरा रह गया। दाल देने की बात हुई, लेकिन किसी को दाल मिल रही, तो किसी को नहीं मिल रही। दुकानदारों का साफ कहना है कि मुफ्त के चावल के लिए उपभोक्ताओ को दोबारा राशन दुकान में आना होगा।

सरकारी राशन लेने के लिए राशन दुकानों में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। तीन महीने का अनाज मिलने की खबर से प्रफुल्लित उपभोक्ता राशन दुकान पहुंचते ही मायूस हाे जाता है। सबसे पहले उसे एक महीने के राशन की सूचना दी जाती है। उपभोक्ता जब प्रधानमंत्री गरीब अन्न योजना के तहत मुफ्त में मिलनेवाले 5 किलो अतिरिक्त चावल की मांग करता है, तो उसे कोटा नहीं आने का कारण बताकर बाद में आने को कहा जाता है। चना व तुवर दाल मांगने पर उपलब्धता के हिसाब से वितरण करने का जवाब दुकानदार देता है। उपभोक्ता पूरी तरहठगा सा महसूस कर रहा है। वह यह नहीं समझ पा रहा है कि कोरोना संक्रमण जैसी भयंकर महामारी में उसे अनाज व दाल के लिए बार-बार क्यों बुलाया जा रहा है।

 उपभोक्ताओं ने शासन-प्रशासन से सवाल किया कि जब तीन महीने का अनाज देना नहीं था तो ढिंढोरा क्यों पिटा। मुफ्त का चावल पहुंचा नहीं तो देने का बखान क्यों किया। दाल हर दुकान में उपलब्ध नहीं है तो प्रशासन ने तुवर व चना दाल देने की घोषणा क्यों की। उपभोक्ताआें को केवल एक महीने का अनाज मिला। मुफ्त का अतिरिक्त 5 किलो चावल किसी को नहीं मिला। दाल किसी को मिली तो किसी को यह बताया गया कि दाल का स्टाक पहुंचा नहीं बाद में आकर ले जाना। एक उपभोक्ता अगर तीन बार दुकान पहुंचेगा तो भीड़ कैसे कम हो रही, यह समझ पाना कठी है। उपभोक्ता दोबारा दुकान नहीं पहुंचा तो मुफ्त का चावल व दाल किसके पेट में जाएगी यह आसानी से समझा जा सकता है।

अब मलहम लगाने की कवायद
राशन दुकानों से जरूरतमंद को ही राशन मिले आैर इसकी कालाबाजारी न हो, इसके लिए उपजिलाधीश स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की गई है। हर दुकान में भगदड़ जैसी स्थिति रही, लेकिन निगरानी रखनेवाले उपजिलाधीश किसी को दिखाई नहीं दिए। निगरानी रखनेवाले साहब को उपभोक्ता दुकानदारों की कारगुजारी बताना चाहते है। जिलाधीश कार्यालय शिकायत करने पहुंचने पर रास्ते में पुलिस के डंडे पड़ने का खतरा उपभोक्तों को सता रहा है।

मुफ्त चावल का कोटा अभी मिला नहीं। कोटा मिलने के बाद  उपभोक्ताओं  को दुकान में आने को कहा गया है। उपलब्धता के हिसाब से दुकानदार दाल दे रहे है। दाल नहीं होगी, तो कहां से देंगे। उपभोक्ता दाल के लिए दोबारा आ सकते है। अनाज व दाल का पूरा कोटा मिला तो दुकानदार एक साथ वितरित कर सकते है।
- सुभाष मुसले, अध्यक्ष, राशन दुकानदार संघ नागपुर.
 
चावल व दाल की आपूर्ति जारी है
अंत्योदय व प्राधान्य गट के  उपभोक्ताओं को मुफ्त में दिए जानेवाले चावल की आपूर्ति का काम जारी है। दाल की आपूर्ति भी की जा रही है। कुछ दिनों में चावल व दाल सभी दुकानों में पहुंचेगी और  उपभोक्ताओं  की समस्या दूर हो जाएगी।
- अनिल सवई, अन्न धान्य वितरण अधिकारी नागपुर शहर 

Created On :   3 April 2020 6:34 PM IST

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